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शिवपुर की पहाड़ियों में है रहस्यमयी शिवलिंग, अविरल जलधारा करती है अभिषेक

सावन के महीने में शिव की आराधना सभी कर रहे हैं, ऐसे में ज्योतिर्लिंगों सहित शिवालयों में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ रही है.

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Published : Jul 21, 2019, 11:36 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

रहस्यमयी शिवलिंग

सरगुजा : सावन में शिव की आराधना सभी कर रहे हैं. ऐसे में ज्योतिर्लिंगों सहित शिवालयों में लोगों की भीड़ उमड़ रही है. इसी कड़ी में हम आपको एक ऐसे शिवालय के बारे में बताने जा रहे हैं, जो शिव और शक्ति के संगम का प्रतीक है. यहां स्थापित प्राचीन शिवलिंग में ही माता सती और महागौरी विराजमान हैं. यही वजह है कि इन्हें अर्धनारेश्वर शिव कहा जाता है.

पहाड़ियों में है रहस्यमयी शिवलिंग

शिवपुर के पहाड़ों के नीचे स्थित इस शिवलिंग का अभिषेक अविरल जलधारा करती है. पहाड़ से निकलने वाला जल हर समय शिवलिंग का अभिषेक करते हुए बहता है. यही वजह है कि उन्हें अर्धनारेश्वर जालेश्वर महादेव भी कहते हैं.

शिवपुर के पहाड़ियों में है शिवलिंग
दरअसल, अंबिकापुर से 45 किलोमीटर दूर प्रतापपुर के शिवपुर में भगवान शिव का मंदिर है, जहां सावन में भक्तों का तांता लगा रहता है. इस मंदिर में विराजे शिवलिंग की कई मान्यताएं हैं. मंदिर के पुजारी कहते हैं कि यहां के राजा को स्वप्न आने के बाद राजा ने पहाड़ को खुदवाया था, जिसके बाद यह शिवलिंग मिला और खुदाई के समय से ही पहाड़ से जलधारा बहना शुरू हुई, जो अब तक बह रही है.

12 महीने एक ही रफ्तार से बहती हैं धाराएं
वो बताते हैं कि मंदिर में नाग-नागिन का जोड़ा रहा करता था, लेकिन जंगल की आग में एक दिन नाग-नागिन के जोड़े में से एक की मृत्यु हो गई, जिसके बाद भगवान शिव के अभिषेक के लिए पहाड़ से निकलने वाली जलधारा बंद हो गई थी, लेकिन राजा ने फिर भगवान का दुग्धाभिषेक किया, जिसके बाद पहाड़ से जलधारा दोबारा प्रवाहित हुई, जो 12 महीने बराबर रफ्तार में बहती है न ही बरसात में इसमें सैलाब आता है और न ही गर्मी में यह धारा सूखती है.

शिवलिंग के साथ महागौरी का संगम
यहां शिवलिंग के साथ महागौरी का संगम शिवलिंग में देखा जा सकता है. इसके साथ ही पहाड़ से जो जलधारा निकल रही है, वो शिवलिंग का अभिषेक करने के बाद एक मानव निर्मित कुंड में एकत्र होती है, जिसे लोग शिव चरणामृत रूपी पानी से नहाकर खुद को धन्य मानते हैं.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:00 AM IST

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