सरगुजा: पिछली सरकार ने शहर में जगह-जगह मोटल या यूं कहें कि छोटे होटल खुलवाए थे. इसके पीछे यह तर्क दिया गया था, कि पर्यटक अकसर जंगली इलाके की ओर आकर्षित होते हैं और ऐसी जगहों पर खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से उन्हें तकलीफ उठानी पड़ती है, लेकिन देखरेख की कमी की वजह से ये होटल कबाड़ में तब्दील हो रहे हैं.
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मोटल खुलवाने के पीछे उस वक्त की सरकार ने ये तर्क दिया था कि इसके पीछे तर्क था कि पर्यटक अकसर जंगली इलाके की ओर आकर्षित होते हैं और ऐसी जगहों पर खाने-पीने और ठहरने की व्यवस्था नहीं होने की वजह से उन्हें तकलीफ उठानी पड़ती है. इसी दिक्कत को ध्यान में रखते हुए पर्यटन विभाग ने सरगुजा में भी एक मोटल बनवाया था, लेकिन आज ये मोटल खंडहर में तब्दील हो चुके हैं. पर्यटन विभाग ने ऐसा ही एक मोटल सरगुजा में भी बनवाया था, जो अब कबाड़ मे तब्दील हो चुका है.
निजी हाथों में देने पर विचार
मोटलों की खस्ताहालत को लेकर जब हमने सूबे के स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव का कहना है कि मोटलों की देख-रेख की जिम्मेदारी प्राइवेट कंपनी के हाथ में देने पर विचार चल रहा है. अब देखना यह होगा कि कब सरकार इसे लेकर कोई ठोस कदम उठाती है और कब ये मोटल दोबारा बेहतर हो पाते हैं.