सरगुजा: सरकार की महत्वाकांक्षी योजना नरवा, गरुवा, घुरवा और बारी योजना के तहत सरगुजा के स्कूल में बागवानी करवाई जाएगी. इस योजना के पहले चरण के लिए जिले के 1 हजार 329 प्राइमरी और 565 मिडिल स्कूलों में से 700 स्कूलों का चयन किया गया है.
टीचर स्कूल में लगाएंगे सब्जी प्रथम चरण में बारी लगाने का काम
दरअसल, इन 700 स्कूलों में बाउंड्रीवाल बनी हुई है, इसीलिए यहां बारी लगाने का काम पहले चरण में ही शुरू किया जाएगा, वहीं जिन स्कूलों में बाउंड्रीवॉल नहीं है, वहां अगले चरण में ये योजना शुरू की जाएगी.
जानकारी मिलने के बाद बनेगी योजना
जिला शिक्षा अधिकारी संजय गुप्ता ने बताया कि, 'शासन के निर्देश के बाद स्कूलों में बागवानी करने के लिए कार्यशाला आयोजित कर लोगों को प्रशिक्षित करने का काम शुरू किया जा चुका है. इसमें कृषि विभाग, उद्यानिकी विभाग के साथ ही कृषि महाविद्यालय से सहयोग लिया जा रहा है और स्कूलों में खाली जमीन की स्थिति की जानकारी मंगवाने के बाद ये योजना बनाई जाएगी कि, कितने पौधे या बीज लगना है'.
अभिभावक और गांववाले भी योजना से जुड़ेंगे
इस योजना से बच्चों के पालकों, समूहों सहित गांववालों को जोड़ने का प्लान है. मतलब शिक्षकों को सहभागिता से इस काम को करना है'. उन्होंने बताया कि 'बाउंड्रीवॉल जहां नहीं है, उसका प्रस्ताव शासन को भेजा जाएगा और उसके बाद उन स्कूलो में भी बागवानी लगाई जाएगी.
फैसले से खुश हैं शिक्षक
जाहिर है कि स्कूलों के लिए जारी होने वाले हर सरकारी आदेश का सीधा बोझ उस स्कूल के शिक्षकों पर पड़ता है, अक्सर शिक्षक इस बात की दुहाई देते दिखते हैं, कि हम बच्चों को पढ़ाई कराएं या फिर सरकारी फरमान पूरा करें, लिहाजा हमने शिक्षकों से भी जाना की इस योजना के प्रति उनकी मंशा क्या है. इस दौरान शिक्षकों ने इसे सरकारी बोझ न मानते हुए इस फैसले को लेकर खुशी जाहिर की है.
कम बीमार होंगे छात्र-छात्राएं
शिक्षकों का मानना है कि, 'इससे उनके छात्र-छात्राओं को सेहतमंद सब्जियां खाने को मिलेंगी, बाजार में रासायनिक खाद से उगाई गई सब्जियों को खाकर बीमार होने की नौबत नहीं आएगी'.
पहले से ही करते हैं बागवानी
एक शिक्षक तो ऐसे मिले जो पहले से ही अपने स्कूल में बागवानी का काम करते हैं. लुंड्रा विकासखंड के बरगीडीह मिडिल स्कूल के शिक्षक आरिफ बताते हैं कि, 'वो पहले से ही अपने स्कूल में विभिन्न प्रकार की साब्जियां उगाते हैं'.
खुद ही बनाते हैं कंपोस्ट खाद
उन्होंने बताया कि, 'स्कूल में कंपोस्ट खाद बनाने का इंतजाम भी कर रखा है'. आरिफ बताते हैं कि, उन्होंने स्कूल प्रांगण में ही एक बड़ा गड्ढा बना रखा है और स्कूल के हैंडपम्प से बहने वाले वेस्ट पानी की नाली को उस गड्ढे से जोड़ दिया है. रोजाना स्कूल के प्रांगण में पेड़ से गिरने वाले पत्तों को उसी गड्ढे में डाल दिया जाता है और कुछ महीने बाद गड्ढे में कंपोस्ट खाद तैयार हो जाती है, जिसका उपयोग वो अपनी बागवानी में करते हैं. गर्मियों की छुट्टियों में बागवानी पूरी तरह सूखकर नष्ट हो जाती है, लिहाजा स्कूल खुलने के बाद हर साल वो फिर से बीज और पौधों का रोपण करते हैं.
कितनी सफल होगी योजना ?
सरकार ने एक अच्छी पहल की है, इससे न सिर्फ स्कूल में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को सेहतमंद खाना मिलेगा, बल्कि सरकार का वित्तीय भार भी कम होगा. प्रयास तो बेहतर है, लेकिन ये योजना धरातल पर कितनी सफल होगी ये तो वक्त ही बताएगा.