सरगुजा: 19 जून को हर साल विश्व सिकल सेल दिवस (world sickle cell day) मनाया जाता है. इसका उद्देश्य सिकल सेल विकारों (sickle cell disorders) को लेकर लोगों में जागरूकता बढ़ाना है. संयुक्त राष्ट्र महासभा (United Nations General Assembly) ने 22 दिसंबर, 2008 को एक सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या के रूप में सिकल सेल रोग को मान्यता देते हुए सिकल सेल दिवस मनाने का फैसला लिया था. पहली बार साल 2009 में विश्व सिकल सेल दिवस मनाया गया था.
छत्तीसगढ़ में भी सिकल सेल से पीड़ित लोग हैं. यहां भी कई लोग सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anaemia) से ग्रसित हैं. कई मामलो में इनकी मौत भी हो चुकी है. सरगुजा में भी ये समस्या आम है. अक्सर लोगों को अपने बच्चों के लिए खून की जरूरत के लिए भटकते देखा जाता था. इसे लेकर ETV भारत ने ये जानने की कोशिश की, कि आखिर सिकल सेल एनीमिया से बचाव (Prevention of sickle cell anemia) के लिए स्वास्थ्य विभाग क्या उपाय कर रहा है ? कैसे इस बीमारी से बचा का सकता है ? इसे लेकर हमने सिकल सेल के नोडल अधिकारी डॉ. अमीन फिरदौसी से बात की.
कैसे होता है सिकल सेलएनीमिया ?
सबसे पहले तो यह जानना जरूरी है कि सिकलसेल की बीमारी होती कैसे है. ये बीमारी किसी वायरस, बैक्टीरिया या फंगस के इंफेक्शन या किसी दवाई के साइड इफेक्ट से बिल्कुल भी नहीं हो सकती. ये बीमारी जेनेटिक होती है. माता या पिता में सिकल सेल के लक्षण होने पर ही जन्म लेने वाले बच्चे में ये बीमारी होती है. बच्चे को जन्म देने वाली महिला या बच्चे के पिता को अगर सिकल सेल एनीमिया के लक्षण हैं तो बच्चा भी इससे ग्रसित हो सकता है.
सिकल सेल एनीमिया से होने वाली समस्या
सिकल सेल एनीमिया से पीड़ित व्यक्ति की लाल रक्त कोशिकाएं (Red blood cell) हसिये के आकर की हो जाती हैं. जो रक्त वाहिकाओं (blood vessels) में फंसने लगती है. इस वजह से तिल्ली (Spleen) में जाकर 180 दिन में टूटने वाली कोशिकाएं 30 दिन में ही टूटने लगती है. जिससे मरीज के शरीर में खून की कमी हो जाती है और वो सिकल सेल एनीमिया (sickle cell anaemia) से ग्रसित हो जाता है. बार-बार खून चढ़ाना ही उनकी जिदंगी बचाने के लिए जरूरी हो जाता है. सिकल सेल के मरीज की तिल्ली धीरे-धीरे काफी बड़ी होने लगती है. जिससे शरीर के अन्य अंगों को यह प्रभावित करने लगती है. सिकल सेल के मरीज को जीवन काल में 4 से 5 बार असहनीय दर्द होता है. अटैक आ सकता है.
स्वास्थ्य विभाग में क्या हैं सुविधाएं
डॉ. अमीन ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव (health minister ts singhdeo) सिकलसेल की समस्या (sickle cell problem) पर काफी गंभीर हैं. उन्होंने सिकल सेल के मरीज (sickle cell patient) को स्पेशल कैटेगरी में शामिल किया है. जो फायदा एक दिव्यांग व्यक्ति को मिलता है, वो सारे फायदे और सुविधाएं सिकल सेल से पीड़ित व्यक्ति को भी मिल रही है. इसके साथ ही सिकल सेल की बीमारी में बहुत ज्यादा खर्च होने के कारण इसे शासन ने पूरी तरह से मुफ्त कर दिया है. एक बार अगर किसी व्यक्ति की सिकल सेल के मरीज के रूप में पहचान हो गई तो उसका एक कार्ड बना दिया जाता है. वो उस कार्ड से पूरे प्रदेश में कहीं भी मुफ्त इलाज करा सकता है. यहां तक की जांच और खून भी इन्हें ब्लड बैंक से बिना किसी शुल्क के दिया जाता है.
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हर मेडिकल कॉलेज में सिकल सेल अनुसंधान केंद्र
रायपुर स्थित सिकल सेल अनुशंधान केंद्र (Sickle cell Research Center) के साथ मिलकर स्वास्थ्य विभाग आने वाले दिनों में बड़ी योजना शुरू करने जा रहा है. जिसके तहत प्रदेश के हर मेडिकल कॉलेज में सिकल सेल अनुसंधान केंद्र की ब्रांच खोली जाएंगी. जिसमें अलग से 10 बिस्तर वाला सिकल सेल वार्ड होगा. साथ ही सामुदायिक और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सिकल सेल जांच की किट उपलब्ध कराने की योजना है. गांव में ही इसके पहचान और इलाज के लिए डॉक्टर, आयुष चिकित्सक, आरएचओ को ट्रेनिंग दिलाई जाएगी. कोरोना काल की वजह से ये योजना लटक गई है. वरना इसे अब तक ये योजना शुरू हो चुकी होती.