सरगुजा: मां की ममता और समाज के प्रति अपने फर्ज के बीच यदि आपको किसी एक को चुनना पड़े तो आप किसे चुनेंगे ? जाहिर है की बच्चों की सुरक्षा के मामले में हर पैरेंट्स सजग होते हैं. बच्चों के स्वास्थ्य के साथ कोई समझौता नहीं करता है, लेकिन अंबिकापुर के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में कुछ ऐसे हेल्थ वर्कर्स हैं जिन्होंने मानव सेवा को ऊपर रखते हुए अपना कर्तव्य निभाया है.
नर्सिंग ऑफिसर अर्चना सिंह, जिन्होंने कर्तव्यनिष्ठा का उदाहरण पेश किया और खुद संक्रमित होकर भी अपना काम बखूबी निभाया. दरअसल, कोरोना की पहली लहर में आईसीयू में ड्यूटी करते हुए अर्चना सिंह कोरोना पॉजिटिव हो गई. उस वक्त अर्चना 7 महीने की प्रेग्नेंट थी. पहला बच्चा डेढ़ साल का था. जिसे पिता और ननद घर में संभाल रही थी. ड्यूटी के कारण अर्चना अपने बच्चे से मिल नहीं पाती थी. इसी बीच कोविड वार्ड में वे अपने इलाज के साथ-साथ अन्य कोरोना मरीजों का ध्यान भी रखती थी. कोरोना से ठीक होने के बाद भी अर्चना लंबे समय तक अपने बच्चे से दूर रहीं. यह इतना भी आसान नहीं, जितना कहने और सुनने में लगता है.