सरगुजा : दिल्ली की एक घटना ने आज पूरे देश को हिलाकर रख दिया. देश की राजधानी में एक युवती को उसके लिव इन पार्टनर ब्वॉयफ्रेंड ने बेरहमी से मौत के घाट उतार दिया. श्रद्धा नाम की ये युवती मुंबई से दिल्ली कई सपने लेकर अपने ब्वॉयफ्रेंड आफताब पूनावाला के साथ आई थी. दोनों कुछ महीनों तक लिव इन में साथ रहे.इसके बाद शादी करने के लिए श्रद्धा ने आफताब पर दबाव बनाया.लेकिन श्रद्धा को ये नहीं पता था कि जिसके साथ उसने जीने और मरने की कसमें खाई हैं दरअसल वहीं एक ऐसी घटना को अंजाम देने वाला है.जिसे सुनने के बाद ही किसी की रूह तक कांप जाए. आफताब ने श्रद्धा से पीछा छुड़ाने की ठानी और उसकी हत्या की. यही नहीं उसने फ्रीजर के अंदर श्रद्धा के शव को रखा और शरीर के 35 टुकड़े करके जंगलों में फेंक आया.इस घटना के बाद देश सकते में हैं. देश में तेजी से लिव इन रिलेशनशिप का चलन बढ़ रहा है. युवक और युवती बिना विवाह के ही साथ रहते हुये दाम्पत्य जैसा ही जीवन बिताने लगते हैं. कई बार यह परिवार की अनुमति के बिना होता है. ज्यादातर मामलों में युवतियां हिंसा का शिकार भी होती देखी जाती हैं. इस मसले पर ईटीवी भारत ने महिला थाने की काउंसलर मीरा शुक्ला से बातचीत की है. (shraddha walker murder case)
दिल्ली का श्रद्धा वाकर मर्डर केस से लिव इन रिलेशनशिप की चर्चा, चुनौतियों और समाधान पर एक्सपर्ट की राय
shraddha walker murder case इन दिनों पूरे देश में दिल्ली का श्रद्धा वाकर मर्डर केस सुर्खियों में है. हर कोई एक वहशी लिव इन पार्टनर की हरकत से हैरान है. लेकिन इस मामले में जहां एक परिवार ने अपनी बेटी खोई वहीं दूसरी तरफ लिव इन रिलेशनशिप की सच्चाई भी दुनिया के सामने लाई है. सच्चाई को देखने के बाद अब भी कई लोग इस पर यकीन नहीं कर पा रहे.लेकिन ऐसी घटनाएं क्यों होती है.ये जानने की कोशिश की है ईटीवी भारत ने.
तेजी से बढ़ रहे लिव इन में विवाद के मामले :मीरा शुक्ला के मुताबिक "इन मामलों को आंकड़ों में नहीं बताया जा सकता है या यूं कह सकते हैं कि 10 में से 4 मामले हर महीने लिव इन के होते हैं. मसला ये है कि आज मोबाइल का जमाना आ गया है. इसमे महिला पुरुष की दोस्ती होती है. ये दोस्ती इस स्वरूप में हो जाती है कि वो लोग एक साथ रहने लगते हैं. वो ये भूल जाते हैं कि हमारा परिवार हमारा समाज कुछ और भी है. कुछ दिन उनके अच्छे कटने लगते हैं. थोड़े दिनों बाद उनमें विवाद होने लगता है. मारने मरने को तैयार हो जाते हैं.तब वो थाने या कोर्ट में जाते हैं. तब पता चलता है कि इनकी शादी नही हुई है. तब बोलते है कि नहीं इसने सिंदूर लगा दिया था हमारी शादी हो गई है"
परिवार के साथ होती है काउंसलिंग :"ऐसे मामलों के लिये हम लोग दोनों पक्षों को बुलाते हैं. उनके परिवार को बुलाते हैं. उनसे बात करके मामले के तह तक जाते हैं. अगर मामला सुलझाने लायक रहता है तो समझा देते हैं. अन्यथा थाने या कोर्ट में भेज देते हैं. अगर काउंसलिंग के मामले से सुलझते हैं तो दोनों को अलग अलग अपने घर भेज देते हैं. लड़के और लड़की की शादी अलग-अलग जगह हो जाती है और वो बीते दिन भूल जाते हैं.'हमारे पास एक हिंसा का मामला आया था. जिसमें लड़के ने लड़की पर पेट्रोल डाल दिया था. वो जल गई थी. इस घटना में लड़की की मौत हो गई. तो हिंसा के मामले में हम लोग कुछ नही कर सकते उसे कोर्ट में ही भेजा जाता है"