सरगुज़ा : स्वच्छता सर्वेक्षण में 5 स्टार रेटिंग, सॉलिड लिक्विड एंड वेस्ट मैनेजमेंट में बेस्ट प्रैक्टिशनर, 10 लाख की आबादी वाले शहरों में देश में नंबर वन जैसे खिताब छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर के नाम हैं. स्वच्छ भारत मिशन के लिए रोल मॉडल बने अंबिकापुर ने स्वच्छता सर्वेक्षण में बड़े-बड़े शहरों को पछाड़ दिया है. अंबिकापुर अब छत्तीसगढ़ की विशेष पहचान बन चुका है. स्वच्छता को लेकर किए गए इनोवेशन की वजह से देशभर की नजरें अंबिकापुर पर हैं.
सेप्टिक टैंक के पानी का दोबारा इस्तेमाल इन सब उपलब्धियों के पीछे जो वजह खास रही है, उनमें से एक अहम कड़ी FSTP (FAECAL SLUDGE TREATMENT PLANT) है, जिसके तहत शहर के सेप्टिक टैंक के मलबे को ट्रीट करने के बाद शुद्ध पानी में तब्दील किया जा रहा है और उस पानी का इस्तेमाल गार्डनों की सिंचाई के लिए किया जा रहा है. बड़ी बात यह है कि इस ट्रीटमेंट में मलबा शत-प्रतिशत पानी का रूप लेता है. मलबे के एक भी स्लज नहीं बचता.
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रोल मॉडल बन रहा अंबिकापुर
दरअसल अंबिकापुर नगर निगम ने स्वच्छता गार्डन में हाईब्रीड FSTP प्लांट लगाया हुआ है. इस प्लांट की क्षमता 20 हजार लीटर प्रतिदिन की है. यह एक दिन में 20 हजार लीटर मलबे को शुद्ध पानी में कन्वर्ट कर देता है. इस पानी को रीयूज कर सेनेटरी पार्क और रिंग रोड के डिवाइडर पर लगे पौधों की सिंचाई में की जाती है. इस संयंत्र की स्थापना के लिये नगर निगम ने कुल 27 लाख रुपये खर्च किए हैं और 3 साल बीत जाने के बाद भी इसके मेन्टेन्स की जरूरत नहीं पड़ी है. बाहर से आने वाली निकायों की टीम भी इससे खासी प्रभावित हुई और उन्होंने अपने यहां इस प्लांट को लगाया है. नेपाल सरकार के प्रतिनिधिमंडल ने भी इस प्लांट की खूब तारीफ की थी. मेयर अजय तिर्की ने बताया कि उज्जैन महाकाल मंदिर ने भी इसे अपनाया और वहां भी यह प्लांट लगाया गया.
स्वच्छता सर्वेक्षण में अंबिकापुर को मिले 400 अंक
बहरहाल लोगों के घरों का वो मलबा जो कल तक नगर निगम यहां-वहां फेंकने के लिए जगह खोजता था, आज वही कारगर साबित हो रहा है. इस मलबे से अलग किया गया पानी पेड़-पौधों के लिए खाद का काम करता है. इस तरह से अंबिकापुर न सिर्फ मलबे का रीयूज कर रहा है, बल्कि पानी की खपत को भी कम करने में सफल हुआ है और यही वजह है कि अंबिकापुर को स्वच्छता सर्वेक्षण में इसके लिए लगभग 400 अंक मिले हैं.
मलबे को पानी में बदलने की प्रक्रिया