सरगुजा: देश ने श्वेत क्रांति लाने के कई प्रयास देखें. लेकिन सरगुजा में अब इससे अलग हटकर एक नया फॉर्मूला आया है. जिससे पशुपालकों में खुशी की लहर है. इस फॉर्मूले से अब कृत्रिम गर्भधारण कर 92 प्रतिशत गायों से बछिया का जन्म कराया (sex shortened semen technique) जा रहा है. जिससे पशुपालकों का मुनाफा निश्चित हो गया है. यह सब मुमकिन हुआ है अमेरिकन कंपनी के सीमेन से. पशुधन विकास विभाग ने सरगुजा जिले में यह (white revolution in Surguja) नया प्रयोग शुरू किया है.
अब बछिया को ही जन्म देगी गाय अमेरिकन कंपनी का सीमेन: पशुधन विकास विभाग सरगुजा जिले में नया प्रयोग कर रहा है. कृत्रिम गर्भधारण के लिए सेक्स शॉर्टेड सीमेन (sex shortened semen technique brought white revolution) का उपयोग किया जा रहा है. यह सीमेन अमेरिकन कंपनी का है. भारत में उत्तराखंड से इसे सरगुजा लाया गया है. कंपनी का दावा है की इस सीमेन के जरिये 92 से 94 प्रतिशत तक बछिया का जन्म कराया जा सकता है.
सीमेन की उपलब्धता: पशुधन विकास विभाग सरगुजा ने 600 सीमेन उत्तराखंड से मंगाए हैं. सरगुजा जिले में 350 पशुओं में इस सीमेन से कृत्रिम गर्भधारण कराया गया है. कंपनी के दावे के मुताबिक सरगुजा में रिजल्ट भी बेहतर आ रहे हैं. 100 में 92 पशुओं ने बछिया जन्म दिया है.
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सरगुजा के पशुपालकों को मुनाफा: पहले पशु पालकों को बछड़ा पैदा होने की वजह से नुकसान होता था. अब इस बात की लगभग गारंटी है कि बछिया ही होगी. अब खेती में नागर में बैल चलाने का रिवाज खत्म हो गया है. लोग ट्रैक्टर और अन्य माध्यमों से खेतों की जुताई करते हैं. ऐसे में बछड़ा किसानों या पशुपालकों के किसी काम का नहीं होता. जबकि बछिया जब गाय बनती है तो वह ना सिर्फ दूध देती है बल्कि इसकी कीमत बाजार में 60 से 70 हजार होती है.
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4 नस्ल के सीमेन उपलब्ध: पशु चिकित्सक चंद्र कुमार मिश्रा ने बताया "हमारे पास 4 उन्नत नस्ल का सीमेन उपलब्ध है. गिर, शाहीवाल, जर्सी और एचएफ इन चारों नस्लों का गर्भधारण किया जा रहा है. इस पद्धति के लिये नाइट्रोजन गैस की जरूरत बेहद अहम है. जिला प्रशासन ने नाइट्रोजन गैस टैंकर उपलब्ध करा कर काम आसान कर दिया है.''
आवारा पशुओं से मिलेगी निजात: इस नई पद्धति से पशु पालक समृद्ध होंगे. श्वेत क्रांति आ सकेगी. वहीं सड़क पर घूम रहे आवारा पशुओं से भी निजात मिलेगी. पशुपालक पंकज श्रीवास्तव ने बताया ''ज्यादातर लोग बछड़ा पैदा होने के बाद उसे खुले में छोड़ देते हैं. वही जानवर सड़क पर घूमते रहते हैं. इस तकनीक से बछड़ों की संख्या नियंत्रित होगी. ऐसे में लोगों को आवारा पशुओं से राहत मिलेगी.''