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Dussehra 2023: सरगुजा पैलेस में शुरू हुई दशहरा की रस्म, मंगलवार को आम लोगों के लिए खुलेगा पैलेस

Dussehra 2023: सरगुजा पैलेस में सोमवार से दशहरा के रस्मों की शुरुआत हो चुकी है. मंगलवार को आम लोगों के लिए शाम 4 बजे से 8 बजे रात तक के लिए पैलेस खुला रहेगा.Dussehra rituals started in Surguja Palace

Dussehra rituals started in Surguja Palace
सरगुजा पैलेस में शुरू हुई दशहरा की रस्म

By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Oct 23, 2023, 6:56 PM IST

अंबिकापुर:छत्तीसगढ़ में दशहरे के अलग-अलग रंग देखने को मिलते हैं. बस्तर का अद्भुत बस्तर दशहरा विश्व प्रसिद्ध है. वहीं, सरगुजा में भी रियासत कालीन दशहरे की परंपरा आज तक चलती आ रहा है. यहां राजपरिवार हर साल नवरात्रि के मौके पर विजयादशमी पर होने वाले फाटक, अश्व, गज, शस्त्र, नगाड़ा, नवग्रह, ध्वज, निशान सहित अन्य पूजा करते आ रहे हैं.

सालों से चली आ रही परम्परा:इसी परम्परा के तहत राजपरिवार के मुखिया और छत्तीसगढ़ के उपपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव सहित उनके उत्तराधिकारी आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने रघुनाथ पैलेस में पूजा अर्चना की. दशहरा का पर्व राज रियासत के प्रति एक मान्यता का प्रतीक है. इसमें दशहरा के दिन आकर राजपरिवार से जुड़े लोग और आमजन राजा के प्रति अपना विश्वास जाहिर करते हैं. यह परम्परा कई सालों से चली आ रही है. हर साल नवरात्रि के मौके पर दशहरा के दिन लोग हजारों की तादाद में सरगुजा पैलेस पहुंचते हैं और सरगुजा राजपरिवार के मुखिया टीएस सिंहदेव, उनके छोटे भाई अरूणेश्वर शरण सिंह देव और उत्तराधिकारी आदित्येश्वर शरण सिंहदेव से मुलाकात करते हैं.

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सरगुजा पैलेस में हुआ शस्त्र पूजा: परंपरा के अनुसार सरगुजा पैलेस में शस्त्र पूजा की गई. शस्त्र पूजा के बाद टीएस सिंहदेव ने मीडिया से बातचीत की. उन्होंने कहा कि, "आज हम समाज में धर्मों के के बीच लड़ाई और आपसी मनमुटाव देखते हैं. हालांकि मुझे अपने परिवार पर गर्व होता है कि हमारे पूर्वजों ने अपने पूजन पद्धतियों और परम्पराओं में हर वर्ग को स्थान दिया है. अनुसूचित जाति और जनजातियों से लेकर विभिन्न धर्मों के प्रतीकों की पूजा इस दौरान दो दिनों तक होती है. नवरात्रि की शुरूआत से ही पूजा शुरू हो जाता है. साथ ही परिवार में अष्टमी और नवमी के एक साथ होने पर खास संधि पूजा की जाति है. इसका अलग महत्व है. परिवार की इस परम्परा का हम सालों से निर्वहन करते आ रहे हैं."

ये भी है परम्परा:दरअसल, सालों से ये परंपरा है कि जब संधि पूजा कर महाराजा-राजा पैलेस लौटते हैं तो सबसे पहले क्षेत्र के आदिवासी वर्ग से जुड़े लोग फाटक पूजा करते हैं. इसके फाटक खोल कर अंदर प्रवेश आने को आमंत्रित करते हैं. तभी पैलेस में प्रवेश मिलता है. इसके पहले नौबत खाना की पूजा होती है. कई विधान के बाद सदियों से चली आ रही परम्परानुसार राजा कचहरी में बैठ कर आमजनों से मुलाकात करते हैं. इसमें लोग आकर राजपरिवार के प्रति अपना भरोसा जाहिर करते हैं.

24 अक्टूबर को आमजनों के लिए खुलेगा पैलेस का दरवाजा:दशहरा इस बार दो दिन पड़ रहा है. यही कारण है कि पूजा का कार्यक्रम सोमवार को किया गया है. लेकिन हर साल की तरह आमजनों के लिये दशहरा पर पैलेस को मंगलवार को खोला जाएगा. तब राजपरिवार के मुखिया टीएस सिंहदेव सहित परिवार के लोग आमजनों से मुलाकात करेंगे. दशहरे के दिन 24 अक्टूबर को शाम 4 बजे से रात 8 बजे तक आमजनों के लिये पैलेस का दरवाजा खुला रखा जायेगा.

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