सरगुजा: भारत की चिकित्सा प्रणाली को दुनिया की सबसे बेहतर चिकित्सा प्रणालियों में से एक कहा जाता है. भारत के डॉक्टरों, नर्सों और दूसरे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को ब्रिटेन, अमेरिका और गल्फ कंट्री के चिकित्सा प्रणाली की रीढ़ भी कहा जाता है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में भारत की चिकित्सा प्रणाली में कई तरह की खामियां सामने आई हैं.
विदेशी डिग्री देख यूं न हो जाएं आकर्षित, हो सकता है आपकी सेहत से खिलवाड़
भारत के डॉक्टरों, नर्सों और दूसरे स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों को ब्रिटेन, अमेरिका और गल्फ कंट्री के चिकित्सा प्रणाली की रीढ़ भी कहा जाता है, लेकिन बीते कुछ वर्षों में भारत की चिकित्सा प्रणाली में कई तरह की खामियां सामने आई हैं.
बताया जा रहा है कि, भारत की चिकित्सा सेवा की गुणवत्ता में विदेश से डिग्री लेकर आये डॉक्टरों के कारण कमी आई है. इस मामले में जानकारों का कहना है कि यहां का पर्यावरण और खान-पान दूसरे देशों के पर्यावरण और खान-पान से काफी अलग है. दूसरे देशों में पर्यावरण और खान-पान के हिसाब से वहां की बीमारियां भी भारत से काफी अलग हैं. ऐसे में विदेश से पढ़कर आये डॉक्टरों को यहां बीमारियों को समझने में काफी वक्त लग जाता है. इस दौरान वे प्रैक्टिस भी करते रहते हैं. ऐसे में कई मरीजों को इसका खामियाजा भी भुगतना पड़ता है.
सरगुजा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ पीएस सिसोदिया बताते हैं कि, विदेश से पढ़कर आने वाले छात्रों को भारत में एक विशेष परीक्षा देनी पड़ती है., जिसमें पास होने के बाद ही उन्हें रजिस्टर्ड डॉक्टर माना जाता है. उन्होंने बताया कि, कम फीस और बिना किसी प्रवेश परीक्षा दिए युवा विदेश में सीधे एडमिशन लेकर डॉक्टरी की पढ़ाई करने लगते हैं. लेकिन जब वे भारत लौटते हैं तो उन्हें फिर से यहां एमसीआई द्वारा आयोजित परीक्षा देनी पड़ती है. जिसे पास करने में कई छात्रों को चार से पांच साल तक लग जाता है. ऐसे में बाहर से पढ़कर आये छात्रों की चिकित्सा सेवा पर सवाल उठते रहते हैं.