सरगुजा:उदयपुर के झीरमिटी के वियन्नी इंग्लिश मीडियम स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों से बाउंड्रीवॉल बनाने के नाम पर 1000 रुपये की मांग की गई थी, रुपये नहीं देने पर स्कूल प्रबंधन ने छात्रों को परीक्षा में बैठने नहीं दिया.
स्कूल परिसर से बच्चों ने घर में फोन कर जानकारी दी, जिसके बाद अभिभावकों ने इसका विरोध किया. स्कूल प्रबंधन ने लगभग 40 बच्चों को परीक्षा में बैठने दिया. इस संबंध में मौके पर मौजूद अभिभावक देवी प्रसाद निरणेजक ने बताया कि 'स्कूल प्रबंधन की ओर से बाउंड्री वॉल के नाम पर 1 हजार रुपये की मांग की जा रही थी. पैसा नहीं देने वाले छात्र को परीक्षा में बैठने का अवसर नहीं दिया जा रहा था'.
बच्चों को दिया जा रहा है मानसिक तनाव
छात्र जिनकी ट्यूशन सहित स्कूल के अन्य फीस पूरी जमा हो गई थी उन छात्रों को भी बाउंड्री वाल के लिए 1000 नहीं देने के नाम से बाहर रोक दिया गया था. जबकि बाउंड्री वाल की जिम्मेदारी संस्था की है. परीक्षा के वक्त में बच्चों के ऊपर इस तरह का मानसिक दबाव बनाया जा रहा है. अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि पिछले साल CBSE पाठ्यक्रम संचालन के नाम से दुगनी फीस वसूली गई थी, लेकिन पढ़ाई सीजी बोर्ड से कराई जा रही है. CBSE के नाम से वसूली गई की राशि स्कूल प्रबंधन की ओर से कहां खर्च की गई यह भी जांच का विषय है.
अभिभावकों ने शिक्षा अधिकारी को सौंपा ज्ञापन
अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया है कि 'यदि विद्यालय प्रबंधन और जन भागीदारी समिति में किसी भी प्रकार का बात विचार कर निर्णय लिया गया था तो उसे सीधे परिजनों से संपर्क कर उन्हें इससे अवगत कराना चाहिए था, ना कि बच्चों को इस तरह से परीक्षा के दौरान दबाव बनाकर मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित नहीं किया जाना चाहिए था. स्कूल प्रबंधन की इस लापरवाही पर नाराज होते विद्यालय में पढ़ने वाले छात्रों के छात्रों के परिजन ने विकास खंड शिक्षा अधिकारी उदयपुर को उक्त संबंध में ज्ञापन सौंपकर विद्यालय प्रबंधन के विरुद्ध कठोर कार्रवाई करने की मांग की है.
विद्यालय के प्राचार्य अमरदीप मिंज से इस बारे में चर्चा करने पर उन्होंने बताया कि 'हमारी सोच बच्चों को परीक्षा से वंचित करने की नहीं थी, जिन छात्रों को एडमिट कार्ड नहीं मिला था उन्हें रोका गया था. इसी दौरान बच्चों की मानसिकता बन गई कि फीस क्लियर नहीं है और इसलिए खड़ा किया गया है. CBSE प्रोसेस में कमी थी उसे पूरा करने के लिए समिति के समक्ष बात रखी गयी थी जिसमें उपस्थित अभिभावकों ने अपनी सहमति जताकर एक हजार प्रति अभिभावक देने का निर्णय लिया था.