अम्बिकापुर:जिसका कोई नहीं होता उसका भगवान होता है. ऐसा ही कुछ हुआ राम पुकार सिंह के साथ हुआ. अपनी पूरी जिंदगी भिक्षावृत्ति कर जीवन यापन करने वाले इस व्यक्ति की मौत के बाद कोई उन्हें छूने तक को तैयार नहीं था. ऐसे में शहर की 'अनोखी सोच' संस्था के सदस्यों ने मानवता की एक मिशाल पेश करते हुए न सिर्फ इस गरीब इंसान की अर्थी को कंधा दिया बल्कि विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार कराया.
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कुदरगढ़ निवासी रामपुकार सिंह अपनी पत्नी के साथ शहर के भाथुपारा में रहते थे. रामपुकार सिंह की स्थिति इतनी दयनीय थी कि वे भिक्षावृत्ति कर अपना जीवन यापन करते थे. राम पुकार सिंह की सड़क दुर्घटना में मौत हो गई. पति की मौत के बाद उसकी पत्नी अंतिम संस्कार के लिए आस-पास के लोगों से मदद की गुहार लगाती रही, लेकिन किसी ने उसकी कोई मदद नहीं की. भिक्षावृत्ति कर जीवन यापन करने वाले व्यक्ति के शव को कोई हाथ तक नही लगाना चाहता था.
गुहार लगाने पहुंची थाने
जब पड़ोसियों से कोई मदद नहीं मिली तो महिला अपने पति के अंतिम संस्कार के लिए मदद की गुहार लगाने मणिपुर पुलिस चौकी के पास पहुंची और अपनी व्यथा सुनाई. महिला की गुहार पर पुलिसकर्मी को तत्काल इसकी जानकारी क्षेत्र की अनोखी सोंच नामक समाज सेवी संस्था को दी.
पत्नी ने ही दी मुखाग्नि
पुलिस ने महिला को समस्या से अनोखी सोंच नामक संस्था को अवगत कराया, जिसके बाद संस्था के अध्यक्ष सूर्य प्रकाश साहू ने संस्था के सदस्यों को महिला की परेशानी बताई. संस्था के सदस्यों ने न सिर्फ मृतक की अर्थी को कांधा दिया बल्कि उसके अंतिम संस्कार का जिम्मा उठाया. मुक्तिधाम में संस्था के सदस्यों की मौजूदगी में महिला ने ही अपने पति को मुखाग्नि देकर उसका अंतिम संस्कार किया.