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8 साल की उम्र में सिर से उठा मां-पिता का साया, संघर्ष से बनी नेशनल प्लयेर

8 साल की उम्र में सर से माता-पिता का साया उठ गया लेकिन निशा कश्यप का हौसला नहीं टूटा. बड़ी बहन ने मां की तरह पाला. अब बास्केटबॉल खिलाड़ी सरगुजा का मान बढ़ा रही हैं. रेलवे में सिलेक्शन होने से न सिर्फ निशा बल्कि सरगुजा के लोग भी खुश हैं.

Selection of basketball player in railway, Basketball Club Surguja
बास्केटबॉल की नेशनल खिलाड़ी निशा कश्यप

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Published : Apr 6, 2021, 6:44 PM IST

Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

सरगुजा: अंबिकापुर शहर की स्थानीय नेशनल बास्केटबॉल खिलाड़ी निशा कश्यप (national basketball player Nisha Kashyap) का चयन दक्षिण पूर्वी मध्य रेलवे (secr Railway) बिलासपुर में हुआ है. निशा कश्यप के माता-पिता का बचपन में निधन हो गया था. निशा का पालन-पोषण उसकी बड़ी बहन करती थी. निशा की बड़ी बहन को निशा के भविष्य के लिए बहुत चिंतित थी. लेकिन हालातों के विपरित निशा ने जीवन में बेहतर प्रदर्शन किया. खेल कोटे से चयन होने से पूरे शहरवासियों और सरगुजा खेल प्रेमियों में हर्ष का माहौल है.

बास्केटबॉल खिलाड़ी निशा कश्यप का हुआ रेलवे में चयन

खिलाड़ी बनने का सफर रोचक

बास्केटबॉल कोच राजेश प्रताप सिंह के कहने पर निशा की सहेलियों ने बास्केटबॉल क्लब ज्वाइन कर लिया. लेकिन निशा ने ज्वाइन नहीं किया था. निशा ने देखा कि उसकी सहेलियां बास्केटबॉल खेलना सीख गई हैं. तो निशा भी कुछ दिनों के बाद अपने एक दो सहेलियों के साथ बैठकर बास्केटबॉल देख रही थी. कोच ने दोबारा निशा को बास्केटबॉल खेलने के लिए कहा. अपनी सहेलियों का खेल देखकर निशा को भी बास्केटबॉल खेल से जुड़ने का मन किया. निशा बास्केटबॉल खेलने के लिए मान गई थी. ETV भारत ने भी खिलाड़ी निशा कश्यप से बात की है.

कोच राजेश प्रताप सिंह के साथ खिलाड़ी निशा

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सवाल: बचपन में पिता और मां के निधन के बाद कैसे जीवन आगे बढ़ा?

जवाब: निशा ने बताया की जब वो 8 वर्ष की थी, तब उनके पिता का निधन हो गया. पिता के निधन के एक साल बाद उनकी मां ने भी दुनिया को अलविदा कह दिया. पिता खाना बनाने का काम करते थे. आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी. लिहाजा मां और पिता के निधन के बाद बड़ी बहन ने निशा और एक छोटे भाई की जिम्मेदारी उठाई. एक कपड़े के दुकान में काम करने से जो आमदनी होती उसी से परिवार का भरण पोषण किया.

सवाल: जीवन में खेल के प्रति कब और कैसे भाव जागा?

निशा ने बताया कि उसने घर से ही पढ़ाई जारी रखी. इस दौरान निशा सहेलियों के साथ बास्केटबॉल खेलने पहुंची निशा को बास्केटबॉल कोच राजेश प्रताप सिंह ने सपोर्ट किया और खेल की बारीकियां सिखाई. जिसके बाद निशा ने सरगुजा में मिनी नेशनल खेला. जिसके बाद साई अकादमी के लिये ट्रायल हुआ उसमें भी सेलेक्ट हो गई. साई में सेलेक्शन के बाद वहां एक्सट्रा ऑर्डनरी प्रशिक्षण मिला. उसकी वजह से नेशनल और इंटनेशनल लेबल पर पहुंची. नेशनल मेडल के जरिए ही रेलवे में जॉब भी मिली है.

सवाल - जीवन में सुविधाओं के आभाव के बीच आपने सफलता हासिल की है, लोगों को क्या मैसेज देना चाहती हैं?

जवाब - जिंदगी में अगर कठिनाइयां ना हो तो जीने का मतलब क्या. जिंदगी में कठिनाई रहेगी तभी हम आगे बढ़ेंगे. ऐसा नहीं है की बिना मेहनत के कुछ मिल सकेगा. सबसे यही कहूंगी की जीवन में मेहनत करो और आगे बढ़ो.

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सवाल - खेल से क्या संदेश समाज को देना चाहेंगी?

जवाब - खेल विश्व शांति का संदेश देता है, खेल सबको एक दूसरे से जोड़े रखता है. मैं भी यही संदेश सभी को देना चाहूंगी.

Last Updated : Jul 25, 2023, 8:01 AM IST

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