सरगुजा:अंबिकापुर कोतवाली पुलिस नशे के खिलाफ अभियान चलाकर लगातार कार्रवाई कर रही है. इसी कड़ी में पुलिस ने ब्राउन शुगर के साथ एक युवक को गिरफ्तार किया है. आरोपी युवक का नाम सौरभ देवब्रत बताया जा रहा है. देवब्रत शहर के कंपनी बाजार का रहने वाला है.
कोतवाली थाना क्षेत्र में कोतवाली पुलिस और स्पेशल टीम ने संयुक्त कार्रवाई करते हुए आरोपी सौरभ देवब्रत को पकड़ने में सफलता हासिल की है. आरोपी पुलिस लाइन धर्मशाला के पास ब्राउन सुगर बेचने की फिराक में ग्राहक की तलाश कर रहा था. इस दौरान मौके पर पहुंची पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया. आरोपी के पास से 3.15 ग्राम ब्राउन शुगर बरामद किया गया है. इसकी कीमत 50 हजार बताई जा रही है. फिलहाल पुलिस मामले में आगे की कार्रवाई कर रही है.
छत्तीसगढ़ में बढ़ता नशा
छत्तीसगढ़ के युवा धीरे-धीरे महंगे ड्रग्स की गिरफ्त में आ रहे हैं. नशे के सौदागरों के लिए राजधानी रायपुर, बिलासपुर और भिलाई इसके बड़े सेंटर के रूप में उभरे हैं. एलएसडी, एमडीएमए, एमकैट और कोकिन जैसे खतरनाक मादक पदार्थ जो कि बेहद महंगे दामों में उपलब्ध होते हैं, वे छत्तीसगढ़ के युवाओं को तेजी से अपनी जद में ले रहे हैं. युवाओं का एक बड़ा वर्ग नशे के लिए टैबलेट, सिरप और बॉनफिक्स जैसी दवाइयों का उपयोग कर रहा है. इसमें मुख्य रूप से स्कूली बच्चे शामिल हैं.
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नशा करने के कारण
- सहकर्मी का दबाव (Peer Pressure)- करीब 40 फीसदी बच्चे इसे एक बड़ा कारण मानते हैं.
- किशोर की जिज्ञासु प्रवृति- हर चीज को अनुभव करने की इच्छा.
- पारिवारिक एवं सामाजिक माहौल.
- व्यवहार संबंधी परेशानी.
- बाल्यावस्था में शारीरिक, भावनात्मक या यौन दुर्व्यवहार.
- वह बच्चे, जो ड्रग्स की अवैध सप्लाई में ड्रग माफियाओं की ओर से इस्तेमाल किए जाते हैं.
आंकड़ों की बात करें तो...
- 27.3% पुरुष, 1.6% महिलाएं और 1.3% बच्चे (10 से 17 वर्ष) वर्तमान में शराब का सेवन करते हैं.
- 5% पुरुष, 0.6% महिलाएं, 0.9% बच्चे एवं किशोर कैनाबिस (भांग, चरस, गांजा) का सेवन करते हैं.
- 4% पुरुष, 0.2% महिलाएं, 1.8% किशोर ओपिओइड (स्मैक, डोडा, फूकी, पॉपी हस्क, हेरोइन) का सेवन करते हैं.
- इनहेलेन्ट ड्रग्स की लत बच्चों एवं किशोर वर्ग (1.17%) में वयस्कों (0.58%) की तुलना में अधिक है.
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नशे का दुष्प्रभाव
- नशे के सेवन से मस्तिष्क में डोपामाइन का स्तर बढ़ता है और संरचना में परिवर्तन होता है, जिससे भविष्य में नशे की लत को बढ़ावा मिलता है.
- नशे से मनोवैज्ञानिक, भावनात्मक और सोचने समझने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.
- एकाग्रता, स्मृति, व्यक्तित्व और व्यवहार में समस्या.