रायपुरः आश्विन कृष्ण त्रयोदशी (Ashwin Krishna Trayodashi) के दिन चंद्र प्रदोष व्रत (Chandra Pradosh Vrat) मनाया जाएगा. इस दिन पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र शुभ योग (Poorva Phalguni Nakshatra Auspicious Yoga) और सिंह राशि का चंद्रमा (Leo Moon) विद्यमान रहेगा. बुध कन्या में, शुक्र तुला में, सूर्य कन्या में और शनि मकर में विद्यमान (Saturn in Capricorn) रहेंगे. इस शुभ दिन वेशियोग सहयोग मालव्ययोग का सुंदर योग बन रहा है. यह पर्व सोमवार के दिन मनाया जा रहा है. अतः इसे सोम प्रदोष व्रत या चंद्र प्रदोष व्रत भी कहते हैं.
4 अक्टूबर को मनाया जाएगा प्रदोष व्रत का पर्व
आज के शुभ दिन स्नानादि से निवृत्त होकर योगासन करके भगवान शिव के मंदिर में जाकर शिव की आराधना करनी चाहिए. भगवान शिव को जनेऊ, सफेद पुष्प, नीले पुष्प, परिमल रोली, अबीर,गुलाल, मलयाचल का चंदन, अष्ट चंदन गोपी का चंदन विशेष प्रिय है. इनसे अभिषेक (Coronation) करना चाहिए. भगवान शिव को जलाभिषेक, दुग्ध अभिषेक और गंगा के जल से अभिषेक करना चाहिए.
साथ ही धूप दीप और अगरबत्ती लगाई जानी चाहिए. इस दिन भगवान शिव को चढ़ाया हुआ बेलपत्र शमी पत्र आक का फूल विशेष प्रभाव कारी माना गया है. इस दिन सात्विकता और व्यक्तित्व में सादगी रखनी चाहिए. श्वेत वस्त्र पहनना शुभ माना गया है. आज के दिन शिव चालीसा शिव तांडव स्त्रोत शिव नमस्कार मंत्र शिव संकल्प मंत्र रुद्राष्टकम शिवास्टकम आदि का मनोयोग से पाठ और ध्यान करना चाहिए.
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शंकर हैं योग के आदि देवता
अनादी शंकर भगवान महाराज योग के आदि देवता माने गए हैं. इस दिन शिव भक्तों को कुशलता के साथ योगाभ्यास आसन प्राणायाम और ध्यान करना चाहिए. प्रदोष काल में जो कि गोधूलि बेला में आता है, इस समय शिव की अर्चना करना बहुत ही कल्याणकारी माना गया है. दोपहर 4:33 से सायंकाल 6:57 तक शुभ प्रदोष काल है. पौराणिक मान्यता है कि भगवान शंकर इस समय बैकुंठ धाम में प्रसन्न होकर नृत्य करते हैं. इस समय पूजा अर्चना करने से भगवान शिव बहुत प्रसन्न होते हैं.