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छत्तीसगढ़ में मातर की शुरूआत, गले से लेकर कमर तक कौड़ियों की माला धारण कर नृत्य करते हैं यदुवंशी

राउत नाचा यादव समुदाय का नृत्य है. यह दीपावली के अवसर पर किया जाने वाला एक परंपरागत नृत्य (traditional dance) है. इस नृत्य में लोग विशेष वेशभूषा (Costumes) पहनकर हाथ में सजी हुई लकड़ी लेकर टोली में गाते और नाचते हुए निकलते हैं. इस कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समाज के लोगों ने भाग लिया.

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Published : Nov 6, 2021, 8:24 PM IST

Updated : Nov 6, 2021, 8:34 PM IST

Raut dance of Yadav society in Chhattisgarh, beginning of Matar
छत्तीसगढ़ में राउत नाचा

रायपुरः राउत नाचा यादव समुदाय का नृत्य है. यह दीपावली के अवसर पर किया जाने वाला एक परंपरागत नृत्य है. इस नृत्य में लोग विशेष वेशभूषा पहनकर हाथ में सजी हुई लकड़ी लेकर टोली में गाते और नाचते हुए निकलते हैं. गांव में प्रत्येक घरों में जाकर दोहा लगाकर सुख-समृद्धि (happiness and prosperity) की आशीर्वाद देते हैं.

छत्तीसगढ़ में मातर की शुरूआत

राउत नाचा छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति (folk culture) का एक सशक्त उदाहरण है. यह एक ऐसा लोकोत्सव है, जिसमें गांव का सीधा-सादा जीवन (simple life) प्रतिबिंबित होता है. इस नृत्य कला को छत्तीसगढ़ के लोक जीवन (folk life) की नैसर्गिक पहचान कहा जाता है. छत्तीसगढ़ में दिवाली के बाद हर गांव में मातर की परंपरा (tradition of matar) है, जहां इनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है.

राउत नर्तकों का वेशभूषा होता है आकर्षण का केंद्र
राउत नाच के कपड़े, आभूषण बहुत ही आकर्षक होते हैं. एक-एक चीज का अपना अलग-अलग महत्व होता है. इस नृत्य में रेशमी सूती कारीगरी से युक्त रंगीन कुर्ता व जैकेट तथा घुटनों तक कसी हुई धोती धारण करते हैं. राउत नर्तक घासीराम यादव बताते हैं कि हाथ जो धारण किए हुए हैं उसे फुलैता कहते हैं. शरीर में जो लगाए हैं उसे साजु कहते हैं.

इसके साथ ही मोर लगाने की परंपरा को भगवान श्रीकृष्ण के मुकुट से जोड़कर देखते हैं. उनका मानना है कि भगवान श्रीकृष्ण यदुवंशी कुल में जन्म लिए हैं, ऐसे में राउत नृत्य के दौरान हर नर्तक के सिर पर मोर पंख लगाने की परंपरा है. वहीं, जूता के साथ ही मोजा पहनने की भी परम्परा है. बिना मोजों के जूते का वेशभूषा (Costumes) अधूरा माना जाता है.

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गले से लेकर कमर तक कौड़ियों की माला
इस नृत्य में नरता पैरों में जूते कमर में करधन गले में तिलरी सुतरी, मुंह पीले रंग से पुता हुआ, आंखों में रंगीन चश्मा, सिर पर कागज से बना हुआ गजरा, दाएं हाथ में लाठी, बाएं हाथ में ढाल संभाले हुए हैं. वहीं, पैर पर घुंगरू पहने होते हैं. इसके साथ ही उनके जैकेट के ऊपर कौड़ियों की माला गले से कमर तक धारण किए होते हैं. जिसकी वजह से अत्यधिक आकर्षण का केंद्र (center of attraction) होते हैं.

Last Updated : Nov 6, 2021, 8:34 PM IST

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