रायपुरः राउत नाचा यादव समुदाय का नृत्य है. यह दीपावली के अवसर पर किया जाने वाला एक परंपरागत नृत्य है. इस नृत्य में लोग विशेष वेशभूषा पहनकर हाथ में सजी हुई लकड़ी लेकर टोली में गाते और नाचते हुए निकलते हैं. गांव में प्रत्येक घरों में जाकर दोहा लगाकर सुख-समृद्धि (happiness and prosperity) की आशीर्वाद देते हैं.
राउत नाचा छत्तीसगढ़ की लोक संस्कृति (folk culture) का एक सशक्त उदाहरण है. यह एक ऐसा लोकोत्सव है, जिसमें गांव का सीधा-सादा जीवन (simple life) प्रतिबिंबित होता है. इस नृत्य कला को छत्तीसगढ़ के लोक जीवन (folk life) की नैसर्गिक पहचान कहा जाता है. छत्तीसगढ़ में दिवाली के बाद हर गांव में मातर की परंपरा (tradition of matar) है, जहां इनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है.
राउत नर्तकों का वेशभूषा होता है आकर्षण का केंद्र
राउत नाच के कपड़े, आभूषण बहुत ही आकर्षक होते हैं. एक-एक चीज का अपना अलग-अलग महत्व होता है. इस नृत्य में रेशमी सूती कारीगरी से युक्त रंगीन कुर्ता व जैकेट तथा घुटनों तक कसी हुई धोती धारण करते हैं. राउत नर्तक घासीराम यादव बताते हैं कि हाथ जो धारण किए हुए हैं उसे फुलैता कहते हैं. शरीर में जो लगाए हैं उसे साजु कहते हैं.