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Paush Amavasya 2022: पौष अमावस्या पर मां-बाप की सेवा से दूर होंगी सारी तकलीफें - पितृ दोष के जातक के लिए पौष अमावस्या

नया साल 2022 के आगाज के साथ ही पौष अमावस्या का व्रत मनाया जाएगा. यह व्रत दो जनवरी को मनाया जा रहा है. विद्वानों का कहना है कि पौष अमावस्या पर माता-पिता की सेवा से लोगों की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

Specialties of Paush Amavasya
पौष अमावस्या की विशेषता

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Published : Jan 1, 2022, 12:43 PM IST

रायपुरः दो जनवरी को मनाए जाने वाले पौष अमावस्या को बकुला अमावस्या या दर्श अमावस्या भी कहा जाता है. इस अमावस्या की विशेषता है कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग भी है. मूल नक्षत्र ध्रुव योग, सिद्धि योग, धनु राशि का योग इस अमावस्या को शोभित कर रहे हैं. रविवार के दिन होने की वजह से पौष अमावस्या का महत्व बढ़ जाता है.

पौष अमावस्या की विशेषता

इस अमावस्या में मुख्य रुप से श्री हरि नारायण और सूर्य की पूजा की जाती है. यह पितृ दोष के जातक के लिए पौष अमावस्या वरदान स्वरुप है. आज के शुभ दिन माता-पिता भरपूर सेवा करनी चाहिए. उनके मन को प्रसन्न रखने का प्रयास करना चाहिए. आज के शुभ दिन यम पितृ दोष, भूत पितृ दोष, मनुष्य पितृ दोष और ऋषि पितृ दोष की पूजन के लिए बहुत ही शुभ मुहूर्त माना गया है. ऐसे जातक जिनकी कुंडली में यह दोष हों, उन्हें आज के दिन पूजा अर्चन, दान, यज्ञ-हवन, श्राद्ध, तर्पण पूरे पुरुषार्थ के साथ करना चाहिए.

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पौष अमावस्या के स्नान का बड़ा महत्व

एक जनवरी 2022 की मध्य रात्रि 3:40 से लेकर अमावस्या तिथि प्रारंभ हो जाएगी. प्रातः काल ही सूर्योदय से पूर्व स्नान-ध्यान और योग से निवृत्त होकर इस पर्व को मनाना चाहिए. आज के दिन स्नान करने का बहुत बड़ा महत्व माना गया है. आज का स्नान विराट होना चाहिए. गंगाजल, सरोवर, तालाब, कुएं और बहते हुए जल में स्नान करना शुभ माना गया है. गंगा के जल से भी आज स्नान करने का महाविधान है. यह अमावस्या सूर्य को तर्पण देने के लिए भी जानी जाती है.

सूर्य को अर्घ्य देना काफी फलदायक

आज के शुभ दिन सूर्य को विभिन्न मंत्रों के साथ अर्घ्य देना चाहिए. इससे शरीर को ऊर्जा और बल प्राप्त होता है. इस अमावस्या में दान का विशेष महत्व है. आज सूर्य की उपासना जैसे सूर्य सहस्त्रनाम, सूर्य चालीसा, आदित्य हृदय स्त्रोत और वेद के विभिन्न सूर्य के मंत्रों का पाठ पूरी श्रद्धा के साथ करनी चाहिए. जीवित माता-पिता का ध्यान रखना, सम्मान देना और उनसे प्रेम बांटने का प्रयास करना चाहिए. माता पिता की सेवा करने से यह अमावस्या सिद्ध हो जाती है.

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