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ठीक एक साल पहले भी नक्सलियों ने खेली थी खून की 'होली' - Naxal attack in Narayanpur

नारायणपुर के कड़ेनार और मंदोडा के पास नक्सलियों ने बड़ी नक्सली घटना को अंजाम दिया है. इस हमले में 5 जवान शहीद हो गए.

one year ago from today 17 security forces mitered in Naxalite attack in sukma
नारायणपुर में नक्सली हमला

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Published : Mar 23, 2021, 7:52 PM IST

Updated : Mar 23, 2021, 10:44 PM IST

रायपुर: नारायणपुर जिले के कड़ेनार और मंदोडा के पास नक्सलियों ने एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया है. नक्सलियों की प्लांट की आईईडी की चपेट में जवानों से भरी बस आ गई. इस हमले में 5 जवान शहीद हो गए. 5 आंगन में होली के रंग बिखरते, इससे पहले सन्नाटा पसर गया है. इस हमले में घायल जवानों को धौड़ाई के स्वास्थ्य केंद्र में प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल और कुछ ज्यादा गंभीर रूप से घायल जवानों को रायपुर लाया गया है.

अशोक नाय़डू, संवाददाता, बस्तर

एक साल पहले भी खेला था खूनी खेल

आज यानी 23 मार्च 2021 से ठीक एक साल पहले 22 मार्च 2020 को भी नक्सलियों ने सुकमा में ऐसा ही खूनी खेल खेला था. जिसमें 17 जवान शहीद हो गए थे. 15 से ज्यादा जवान घायल हुए थे. हमला सुकमा जिले के कोराजडोंगरी के चिंतागुफा के पास हुआ था. शहीद होने वाले जवानों में डीआरजी के 12 जवान और एसटीएफ 5 जवान थे. चिंतागुफा थाना क्षेत्र के कोराजडोंगरी में नक्सलियों को खदेड़ने के बाद जवान धोखे से नक्सलियों के एंबुश में फंस गए थे.

नारायणपुर में नक्सली हमला

नक्सलियों ने जवानों से भरी बस को बम से उड़ाया, 5 जवान शहीद

मौके पर शहीद हुए थे 6 जवान

एंबुश में फंसे नक्सलियों ने जबरदस्त गोलीबारी शुरू कर दी थी, जिसमें जवानों को संभालने तक का मौका नहीं मिला. देशी मोर्टार और आधुनिक हथियारों से नक्सली लगातार फायरिंग करते रहे. शुरुआती फायरिंग में ही डीआरजी के 5 से 6 जवान मौके पर ही शहीद हो गए थे.

जवान शहीद

सुकमा नक्सली हमला: ग्राउंड जीरो से ETV भारत की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट

मदद न मिलने से कई जवान हुए थे शहीद

हालात ऐसे बने थे कि घायल जवानों को वहीं छोड़ बाकी जवानों को मदद के लिए कैंप आना पड़ा था. कैंप लौटे जवान जबतक घटना स्थल पर मदद लेकर पहुंचते, कई घायल जवानों ने दम तोड़ दिया था. बड़े नक्सली नेताओं की मौजूदगी की सूचना पर तेमालवाड़ा, चिंतागुफा और बुर्कापाल से डीआरजी, एसटीएफ और कोबरा के 300 से ज्यादा जवान स्पेशल ऑप्स पर निकले थे. एलमागुंडा गांव में सर्चिंग कर जवानों की टुकड़ी लौट रही थी. इस दौरान कोराजडोंगरी के पास जवानों ने नक्सलियों के लिए एम्बुश प्लान किया था.

नारायणपुर में नक्सली हमला

नक्सलियों की मौजूदगी को लेकर किया गया था ऑपरेशन

एम्बुश में नक्सलियों के बड़े लीडरों को भी गोली लगी थी. यहां जवानों को भारी पड़ता देख नक्सली पीछे हट गए थे. हालांकि वापसी के दौरान रेंगापारा के पास फिर नक्सलियों के एंबुश में जवान फंसे और 17 वीरों की जान बलिदान हो गई. दुर्भाग्य ये है कि घटनास्थल से कुछ ही दूरी पर कोबरा 206 की एक टुकड़ी मौजूद थी, लेकिन एंबुश में फंसे जवानों को मदद नहीं कर पाई थी.

2015 में भी 7 जवानों ने दी थी शहादत

इससे पहले अप्रैल 2015 में पोलमपल्ली थाना क्षेत्र के पिढ़मेल में राज्य पुलिस को बड़ा नुकसान हुआ था. इस घटना में एसटीएफ के 7 जवान शहीद हो गये थे. पिढ़मेल की घटना के बाद राज्य पुलिस को दूसरा बड़ा नुकसान मिनपा के रेंगापारा में हुआ है. नक्सल मोर्चे पर डीआरजी को सफल माना जाता है. डीआरजी जवानों द्वारा चलाये गये आपरेशन में पुलिस को बड़ी सफलतायें मिली है.

नक्सलियों ने फिर तोड़ा भरोसा

अभी कुछ दिनों पहले ही नक्सलियों ने सरकार के साथ शांति वार्ता का प्रस्ताव दिया था. नक्सलियों ने कुछ शर्तों के साथ शांति वार्ता की बात कही थी. जिसपर सरकार ने बिना शर्त बात करने के लिए हामी भी भरी थी. इन सबके बीच नारायणपुर जिले के ही अबूझमाड़ से सरकार और नक्सलियों के बीच बातचीत को लेकर शांति यात्रा भी निकाली जा रही थी, जो आज (23 मार्च) रायपुर पहुंची है. हालांकि नक्सलियों के प्रस्ताव को कुछ अधिकारियों ने भरोसेमंद नहीं बताया था. मंगलवार को हुए हमले ने इसे साबित भी कर दिया है.

Last Updated : Mar 23, 2021, 10:44 PM IST

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