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छत्तीसगढ़: महिलाओं को जमकर मिला काम, सबसे ज्यादा दुर्ग की हिस्सेदारी - छत्तीसगढ़ में मनरेगा में महिलाएं

छत्तीसगढ़ में मनरेगा के तहत रोजगार प्राप्त करने में महिलाओं की भागीदारी आधे से ज्यादा है. इसमें सबसे ज्यादा दुर्ग जिले में 64 फीसदी महिलाएं रोगजार प्राप्त कर चुकी हैं.

Women working under MNREGA
मनरेगा के तहत काम करती महिलाएं

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Published : Jul 28, 2020, 12:09 PM IST

Updated : Jul 28, 2020, 12:28 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ में मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम) कार्यों में महिलाओं की भागीदारी आधी से ज्यादा है. वित्तीय वर्ष 2020-21 के शुरुआती 4 महीनों में योजना के तहत प्रदेश में 24 लाख 28 हजार 234 महिलाओं को काम मिला है. प्रदेश में इस दौरान कुल 9 करोड़ 17 लाख 87 हजार रोजगार में महिलाओं की हिस्सेदारी 4 करोड़ 65 लाख 85 हजार है. मनरेगा कार्यों में इस साल अब तक महिलाओं की भागीदारी 50.75 फीसदी रही है, जो पिछले 4 वर्षों में सबसे ज्यादा है. जबकि अभी चालू वित्तीय वर्ष के 4 महीने भी पूरे नहीं हुए हैं.

मनरेगा के तहत रोजगार प्राप्त महिलाएं

पढ़ें- जगदलपुर: मनरेगा के तहत प्रवासियों को अपने गांव-घर में मिल रहा रोजगार

छत्तीसगढ़ में इस साल विभिन्न मनरेगा कार्यों के अंतर्गत कुल 48 लाख 14 हजार 330 मजदूरों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है. इनमें 24 लाख 28 हजार 234 महिला श्रमिक शामिल हैं. मनरेगा कार्यों में महिलाओं की हिस्सेदारी लगातार बढ़ रही है.

काम करती महिलाएं
  • 2016-17 में इसमें महिलाओं की भागीदारी 49.31 प्रतिशत
  • 2017-18 में 49.71 प्रतिशत
  • 2018-19 में 50.05 प्रतिशत
  • 2019-20 में 50.70 प्रतिशत
  • चालू वित्तीय वर्ष में अब तक 50.75 प्रतिशत

महिलाओं की सर्वाधिक हिस्सेदारी इस साल शुरुआती चार महीनों में ही हासिल कर ली गई है. मनरेगा महिलाओं के लिए भी रोजगार का बड़ा और सुलभ साधन साबित हो रहा है.

मनरेगा के तहत काम करते मजदूर

महिलाओं को रोजगार देने में दुर्ग अव्वल

  • दुर्ग में 64 प्रतिशत
  • बालोद में 62 प्रतिशत
  • राजनांदगांव में 59 प्रतिशत
  • रायपुर में 54 प्रतिशत
  • बस्तर में 52 प्रतिशत
  • बिलासपुर में 51 प्रतिशत
  • धमतरी में 51 प्रतिशत
  • कोंडागांव में 51 प्रतिशत
  • नारायणपुर में 51 प्रतिशत

मनरेगा के अंतर्गत विभिन्न हितग्राहीमूलक कार्यों में प्रधानमंत्री आवास निर्माण में श्रम, बकरी आश्रय, मुर्गी आश्रय, मवेशियों के लिए पक्का फर्श, कोटना निर्माण, भूमि समतलीकरण, कूप निर्माण और निजी डबरी निर्माण इत्यादि शामिल हैं. मनरेगा कार्यों में मजदूरी के साथ ही महिलाएं हितग्राही के तौर पर इन कार्यों का लाभ लेकर कृषि, उद्यानिकी, मछलीपालन, बकरीपालन एवं मुर्गीपालन जैसे कार्यों के जरिए अपनी आजीविका संवर्धित कर रही हैं. मनरेगा प्रावधानों के मुताबिक रोजगार प्रदाय में एक-तिहाई महिलाओं का होना अनिवार्य है. दिव्यांग और अकेली महिलाओं की भागीदारी को बढ़ाने का भी प्रावधान किया गया है.

Last Updated : Jul 28, 2020, 12:28 PM IST

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