भोपाल:शारदीय नवरात्रि के तीसरे दिन मां चंद्रघंटा की पूजा-उपासना की जाती है. ये मां दुर्गा की नौ शक्तियों में से तीसरी शक्ति है. मां चंद्रघंटा ने पृथ्वी पर धर्म की रक्षा और असुरों का संहार करने के लिए अवतार लिया था. मां दुर्गा के इस रूप की विशेष मान्यता है.
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मां चंद्रघंटा का स्वरूप
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मां चंद्रघंटा को परम शांतिदायक और कल्याणकारी माना गया है. मां चंद्रघंटा के मस्तिष्क पर घंटे के आकार का आधा चंद्र है. इसीलिए इन्हें मां चंद्रघंटा कहा जाता है. मां चंद्रघंटा का रूप रंग स्वर्ण के समान है. मां चंद्रघंटा देवी के दस हाथ हैं. इनके हाथों में शस्त्र-अस्त्र विभूषित हैं, और मां चंद्रघंटाकी सवारी सिंह है. मां चंद्रघंटा की पूजा और उपासना से साहस और निडरता में वृद्धि होती है. हर प्रकार के भय से मुक्ति मिलती है. मां चंद्रघंटा की पूजा करने सौम्यता और विनम्रता में भी वृद्धि होती है. विधि पूर्वक पूजा करने से मां अपने भक्तों को आर्शीवाद प्रदान करती हैं. मां चंद्रघंटा की पूजा करने से रोग से भी मुक्ति मिलती है.
मां चंद्रघंटा पूजा विधि