रायपुर:कोरोना काल में सभी वर्ग प्रभावित हुए हैं. बच्चे, बुजुर्ग, युवा सभी के मन में संक्रमण को लेकर डर बना हुआ है. इसमें सबसे ज्यादा गर्भवती महिलाएं प्रभावित हुई हैं.छत्तीसगढ़ में कोरोना काल के समय संस्थागत प्रसव का आंकड़ा तेजी से गिरा है. जिला अस्पताल रायपुर में सालभर में 4 हजार 500 के लगभग डिलीवरी होती थी. अब ये आंकड़ा गिरकर 2 हजार के आसपास पहुंच गया है. महिलाएं संक्रमण के डर से अस्पताल जाने के लिए कतरा रही हैं.
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फरवरी महीने में प्रदेशभर में 37 हजार 984 संस्थागत प्रसव हुए थे, लेकिन लॉकडाउन लगने के बाद ये आंकड़ा अप्रैल महीने में घटकर महज 32 हजार 529 पर पहुंच गया है. इससे ये साफ जाहिर है कि संस्थागत प्रसव में कमी आई है. जबकि कोरोना संकट के पिछले सर्वे में छत्तीसगढ़ में 45 फीसदी के करीब संस्थागत प्रसव का आंकड़ा था, जो इस साल 72.2 फीसदी हो गया है. इससे साफ जाहिर है कि लोगों में संस्थागत प्रसव को लेकर जागरुकता आई है, लेकिन कोरोना काल में आंकड़े गिरे हैं. डॉक्टरों की मानें तो उनका कहना है कि ज्यादातर गर्भवती महिलाएं संक्रमण के डर से अस्पताल नहीं पहुंच रही हैं. बता दें, गर्भवती महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है, इसलिए उनमें संक्रमण का खतरा अधिक होता है. इस स्थिति में महिलाएं अस्पताल न जाकर घर पर ही प्रसव करा रही हैं.
कोरोना संक्रमित महिलाओं का भी हुआ सुरक्षित प्रसव
कोरोना महामारी के दौरान प्रदेश के कई कोरोना संक्रमित महिलाओं की डिलीवरी करवाई गई है. राजधानी रायपुर के मेकाहारा में 30 संक्रमित महिलाओं की डिलीवरी कराई गई है. जबकि 163 कोरोना सस्पेक्ट महिलाओं का सफलतापूर्वक प्रसव करवाया गया है. डॉक्टरों का कहना है कि ऐसे में लोगों को कोरोना से डरने की जरूरत नहीं है, बल्कि उन्हें गाइडलाइन का पालन करते हुए डॉक्टरों की देखरेख में ही प्रसव कराना चाहिए जिससे जच्चा और बच्चा दोनों ही खतरे से बाहर होंगे.
संस्थागत प्रसव में गिरावट की वजह
- अस्पतालों में संक्रमण का डर होने की वजह से लोग वहां जाने से बच रहे हैं.
- देशभर में लागू लॉकडाउन की वजह से सार्वजनिक परिवहन मुख्य रूप से प्रभावित है. खास तौर पर सार्वजनिक परिवहन पर प्रतिबंध की वजह से ग्रामीण और सुदूर इलाकों के लोग अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे हैं.
- कोविड-19 केयर वार्ड में ड्यूटी लगने की वजह से कई स्वास्थ्य कर्मचारी अस्पतालों के वार्ड में ड्यूटी के लिए नहीं पहुंच रहे हैं. चिकित्सा कर्मचारियों की कमी की वजह से भी लोग अस्पताल में आने से कतरा रहे हैं.
राष्ट्रीय हेल्थ सर्वे के मुताबिक संस्थागत प्रसव में बढ़ोतरी से शिशु और मातृ मृत्यु दर में खासी कमी आई है. NFHS4 के मुताबिक छत्तीसगढ़ में एमएमआर (मातृ मृत्यु दर ) 159 प्रति लाख है, जो कई राज्यों से बेहतर है हालांकि इसे और बेहतर करने की जरूरत है.