रायपुर. शहर के चौक-चौराहों पर भीख मांगने वाले भिक्षुक अब अपने मेहनत की रोटी खाएंगे. इन भिक्षुओं को आत्मनिर्भर बनाने का प्रयास किया जा रहा है. रायपुर के भिक्षुक पुनर्वास केंद्र (Raipur Beggar Rehabilitation Center) में इन्हें सिलाई की ट्रेनिंग दी जा रही है. ये वे भिक्षुक हैं, जो राजधानी की सड़कों पर अक्सर भीख मांगते नजर आते थे. इन्हें रेस्क्यू कर शंकर नगर के भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में रखा गया है. ईटीवी भारत की टीम भिक्षुक केंद्र पहुंची और ये जानने की कोशिश की है कि भिक्षुकों को किस तरह से ट्रेनिंग देकर आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है.
रायपुर में भिखारियों को आत्मनिर्भर बनाने की पहल, भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में दी जा रही ट्रेनिंग - Beggars are becoming self sufficient in Raipur
रायपुर में सड़क में घूमकर भीख मांगने वालों को अब आत्मनिर्भर बनाया जा (Beggars are becoming self sufficient in Raipur) रहा है. सामाजिक संस्था ने भिक्षुकों को अपने पैरों पर खड़े करने का बीड़ा उठाया है.
भिक्षुक हो रहे ट्रेंड : समाज कल्याण विभाग ने भिक्षावृत्ति के दलदल में फंसी महिलाओं का रेस्क्यू कर रायपुर के भिक्षुक पुनर्वास केंद्र में रखा है. संगी मितान सेवा संस्थान रायपुर की ओर से उन्हें बीते एक माह से सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिया जा (Initiative to make beggars self reliant in Raipur ) रहा है. अब ये महिलाएं प्रशिक्षण लेकर भिक्षावृत्ति के दलदल में वापस नहीं लौटना चाहतीं. वे खुद की कमाई से दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना चाहती हैं. पुनर्वास केंद्र की लक्ष्मी बाई ने बताया कि ''उन्हें सिलाई की ट्रेनिंग दी जा रही है. पिछले एक माह से सिलाई सीख रहीं हैं. यहां से निकलने के बाद सिलाई का ही काम करना चाहती हैं''. एक महिला पूनम ने बताया कि ''अब दोबारा भिक्षावृति में शामिल नहीं होगी. यहां से निकलने के बाद सम्मान की जिंदगी जीएगी.''
आर्थिक रुप से होंगी मजबूत :ट्रेनिंग संचालक ममता शर्मा ने बताया कि ''सितंबर से यहां बहुत से लोग रह रहे हैं. सभी एक कमरे में रहते हैं. ऐसे में हमने सोचा कि जब यहां से ये महिलाएं बाहर जाएंगी तो कैसे अपने दम पर आर्थिक रूप से मजबूत होंगी. इसी के तहत मैंने सरकार को एक प्रपोजल भेजा है, लेकिन मेरा उद्देश्य है कि आप खुद मेहनत करिए. फिर आप किसी से (Initiative to make beggars self reliant in Raipur ) मांगिए. इसलिए मशीन खरीद कर लाना उचित समझा. अब मशीनों के जरिए सभी को सिलाई सिखाई जा रही है. कुछ और भी चीजें इन्हें सिखाई जा रही है, ताकि यह बाहर निकलकर खुद पैसा कमा सकें. इसके साथ-साथ संस्था ने और भी बहुत सारे प्रपोजल तैयार किए हैं. जिसमें दोना पत्तल, नेपकिन, टिकिया की ट्रेनिंग देने की तैयारी है. इन उत्पादों को बनाकर ये महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो जाएंगी.''