रायपुर : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और पहली लोकसभा के सांसद रहे स्वर्गीय रेशम लाल जांगड़े के परिवार ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है. रेशम लाल जांगड़े के बेटे हेमचंद्र जांगड़े अनुसूचित जाति आयोग के पूर्व सदस्य भी रहे हैं. कांग्रेस से इस्तीफा देते हुए उन्होंने आरोप लगाया कि भूपेश सरकार के अड़ियल रवैये से परेशान होकर उन्होंने यह कदम उठाया है. स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और संविधान सभा के सदस्य रहे रेशम लाल जांगड़े के बेटे ने ईटीवी भारत से खास बातचीत में बताया कि 'ढाई साल में सीएम भूपेश बघेल से लगातार मिलने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने मेरे या मेरे परिवार से मुलाकात करना उचित नहीं समझा. यह मेरे परिवार का अपमान है इसलिए मैं पार्टी छोड़ रहा हूं.'
हेमचंद्र जांगड़े ने कांग्रेस से इस्तीफा दिया सवाल: क्या वजह है जिसके कारण आपके परिवार ने कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया है? जवाब: ढाई वर्ष पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पर विश्वास और आस्था व्यक्त करते हुए कांग्रेस पार्टी ज्वाइन की थी. मुख्यमंत्री ने मुझे विश्वास दिलाया था कि आदरणीय रेशम लाल जांगड़े जी और आपके परिवार का पूरा मान सम्मान रखा जाएगा. आपको पार्टी में उचित सम्मान मिलेगा. सीएम भूपेश बघेल पर विश्वास करते हुए पार्टी ज्वाइन की और लगातार पार्टी के लिए समय-समय पर जो भी जिम्मेदारी दी गई उसका निर्वहन किया. चाहे जांजगीर लोकसभा क्षेत्र हो या मेरे निर्वाचन क्षेत्र बिलाईगढ़ की बात हो. कांग्रेस प्रत्याशी को लीड दिलाया. समय-समय पर जो भी चुनाव होते गए उस पर मैं पार्टी के लिए काम करता गया और जो भी दायित्व मिला उसको निभाते गया, लेकिन आज बहुत ही दुखी मन के साथ मुझे कहना पड़ रहा है कि ढाई वर्ष बीत जाने के बाद भी मुझसे या मेरे परिवार वालों से मुलाकात भी करना उचित नहीं समझा. मैं अपने निवास कार्यालय और उनके पदाधिकारियों से भी लगातार संपर्क साधते रहा, लेकिन बहुत दुख के साथ मुझे कहना पड़ रहा है कि ढाई साल बीत जाने के बाद भी मुख्यमंत्री को इस परिवार से मिलने का समय नहीं मिल पाया.
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सवाल:छत्तीसगढ़िया सरकार है, ऐसे में एक छत्तीसगढ़िया नेता का कांग्रेस से हाथ छोड़ना उचित है?
जवाब:हमें भी तो यही लग रहा था कि मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़िया व्यक्ति हैं. छत्तीसगढ़ के माटी में रचे बसे हैं. वह मेरे बाबूजी ही नहीं छत्तीसगढ़ के सभी महापुरुषों के बारे में भली-भांति जानते हैं. एक अच्छी सकारात्मक सोच के साथ वह लोगों के लिए काम करेंगे. मुझे भी ऐसा भ्रम हुआ था, लेकिन मुझे बहुत दुख के साथ यह कहना पड़ रहा है कि स्वर्गीय रेशम लाल जांगड़े जी जो कि, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी रहे हैं. बाबा साहब के साथ संविधान सभा के सदस्य रहे हैं. वह एक लोकप्रिय और इमानदार व्यक्ति रहे हैं. ऐसे व्यक्ति का सम्मान जब मुख्यमंत्री नहीं कर सके तो छत्तीसगढ़ के किस महापुरुष का सम्मान करेंगे. उन्होंने न केवल जांगड़े जी का सम्मान ना करके छत्तीसगढ़ के समस्त महापुरुषों का अनादर किया है. स्व रेशम लाल जांगड़े जी का कोई स्मारक या कोई चिन्हारी बनाने की मांग मैने कई मंचों पर की. यह मांग सतनामी समाज की ओर से भी लगातार की जा रही थी, लेकिन सीएम साहब के कान पर जूं तक नहीं रेंगा. यह केवल सतनामी समाज ही नहीं बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के लिए बहुत ही दुख की बात है.
सवाल: आप पहले भाजपा में रहे, उसके बाद कांग्रेस में आए अब आगे की क्या रणनीति है?
जवाब:आगे के लिए किसी तरह का कोई विचार नहीं किया गया है. किसी पार्टी में जाने का अभी सोचा नहीं हूं, लेकिन उचित समय आने पर निर्णय लूंगा कि मुझे कहां जाना है और किस तरह से काम करना है. वर्तमान में केवल जनता के बीच में रहकर जनता के लिए काम करते रहूंगा, क्योंकि मेरा परिवार हमेशा काम करने वाला परिवार रहा है. आजीवन जनता की सेवा ही की है. उन्हीं के पद चिन्हों पर जनता के लिए हमेशा उपलब्ध रहूंगा और जनता के लिए मैं हमेशा काम करता रहूंगा.