रायपुर:कोरोना काल में न सिर्फ युवा बल्कि बच्चे, बुजुर्ग, महिला सभी की दिनचर्या चेंज हुई है. सबसे ज्यादा परेशानी तो छोटे बच्चों को हुई है. महिलाओं पर भी काफी प्रेशर पड़ा है. पहले बच्चा स्कूल या बाहर खेलने चला जाता था. पति ऑफिस चले जाते थे तो घर में काम थोड़ा कम रहता था, लेकिन वर्क फ्रॉम होम और ऑनलाइन स्टडी के वजह से सभी लोग घर में हैं. इस वजह से महिलाओं पर भी मेंटल प्रेशर काफी बड़ा है.
(corona side effect in youth) युवा वर्ग पहले अपनी ज्यादातर एनर्जी बाहर इन्वेस्ट करता था. यानी घूमना-फिरना, दोस्तों से मिलना, उनसे बातें शेयर करना. कोरोना काल की वजह से घर में रहने से युवा की एनर्जी प्रॉपर खर्च नहीं हो पा रही है. घर वालों से भी वह ज्यादा बातचीत नहीं कर पाते हैं, क्योंकि एक जनरेशन गैप होता है. युवा अपनी सारी बातें अपने माता-पिता को नहीं बताते. मोबाइल का इस्तेमाल भी युवाओं में काफी बढ़ा है. फोन पर भी युवा अपनी सारी बातें शेयर नहीं कर सकते. कहीं ना कहीं वह पूरी एनर्जी और फ्रस्टेशन स्टोर रहता है. यही वजह है कि छोटी-छोटी बातों पर युवा चिड़ने लगे हैं.
जेनरेशन गैप भी बन रहा टकराव की वजह
युवाओं की शिकायत रहती है कि पेरेंट्स उनकी सोच को नहीं समझ सकते. पहले युवा अपने दोस्तों से बातचीत कर अपनी सोच शेयर करते थे. इस वजह से उनमें चिड़चिड़ापन या अग्रेसिव बिहेवियर देखने को नहीं मिलता था. लेकिन आज घर में रहने की वजह से कहीं ना कहीं वह अपने दोस्तों से कट गए हैं. वह अपनी सारी बातें अपने पेरेंट्स से शेयर नहीं कर सकते. इस वजह से उनमें फ्रस्टेशन देखने को मिलता है. पेरेंट्स के स्ट्रिक्ट बिहेवियर की वजह से भी दिक्कत होती है. पैरेंट्स अपने बच्चों से दोस्ती करने में कतराते हैं. अगर जब पूरा परिवार एक साथ है तो एक दूसरे से बात करें, घुल-मिल कर रहें तो इस तरह की समस्या देखने को नहीं मिलेगी.