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छत्तीसगढ़ की महिला वेडिंग सिनेमैटोग्राफर श्रेया गोयल की सफलता की कहानी - छत्तीसगढ़ी महिला की सफलता की कहानी

Chhattisgarh Female Wedding Cinematographer Shreya Goyal: रायपुर की श्रेया गोयल एक सफल वेडिंग सिनेमैटोग्राफर हैं. वे सिनेमैटोग्राफी के फील्ड में न सिर्फ खुद आगे बढ़ीं, बल्कि एक फर्म (कंपनी) खोलकर अपने साथ-साथ दूसरों को भी रोजगार दे रहीं हैं.

Chhattisgarh Female Wedding Cinematographer Shreya Goyal Success Story
छत्तीसगढ़ की महिला वेडिंग सिनेमैटोग्राफर श्रेया गोयल

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Published : Jan 25, 2022, 6:16 PM IST

Updated : Jan 25, 2022, 7:12 PM IST

रायपुर: आज लोग अपने फील्ड में क्रिएटिव आइडियाज के चलते न सिर्फ खुद सफल हो रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी काम दे रहे हैं. रायपुर की श्रेया गोयल भी इनमें शुमार हैं. शादी के बाद श्रेया की सास और उनके परिवार ने भी खूब सपोर्ट किया. आज वह बड़े-बड़े मॉडल्स की शादी में सिनेमैटोग्राफी कर रहीं हैं. ETV भारत ने सिनेमैटोग्राफर श्रेया गोयल से खास बातचीत की. (Exclusive conversation with cinematographer Shreya Goyal)

छत्तीसगढ़ की महिला वेडिंग सिनेमैटोग्राफर श्रेया गोयल से खास बातचीत

सिनेमैटोग्राफर श्रेया गोयल (Chhattisgarh Female Wedding Cinematographer Shreya Goyal) ने बताया कि 'आज मेरा खुद का एक फर्म (कंपनी) है. मैं सिनेमैटोग्राफी के साथ-साथ डायरेक्शन और वीडियो एडिटिंग भी करती हूं. मुझे शुरू से ही एडिटिंग का शौक था. पहले मैं एक निजी कंपनी में एडिटिंग करती थी. मेरी मम्मी का कहना था कि कुछ ऐसी टेक्नीकल चीज सीखों, जो शादी के बाद भी काम आए. एडिटिंग के बाद मैंने डायरेक्शन किया. फिर मैंने अपनी एक छोटी सी कंपनी खोल दी. इसमें मैं डायरेक्शन और एडिटिंग करती हूं. मेरे साथ बाकी लोग भी काम करते हैं, जो फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर हैं'.

जब शौक बना जुनून....

अगर आसान भाषा में कहा जाए तो किसी फिल्म के डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर कहानी की कल्पना करके जैसे लिखते हैं उस कल्पना को एक चलचित्र यानी सिनेमा के रूप में सिनेमैटोग्राफी के मदद से ही प्रोजेक्ट किया जाता है. इस काम को करने वाले को सिनेमैटोग्राफर कहते हैं. 4 साल से में सिनेमैटोग्राफी कर रही हूं. आज मेरी फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर की पूरी टीम है.

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सवाल: सिनेमैटोग्राफी में कितना चेंज आया, कितनी मुश्किल हुई शूटिंग

जवाब:पहले लोग वीडियो और फोटो के ज्यादा शौकीन नहीं थे. वह सोचते थे कि बस वीडियो शूट हो जाए. एक वीडियो बन जाए, लेकिन आज के समय में लोग क्रिएटिव हो गए हैं. हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी शादी अगर शूट हो रही हो तो हर एंगल कवर हो. हर इमोशन कवर हो. इस वजह से आज सूट काफी चेंज हो गया है. आज सिर्फ वीडियो शूटिंग का मतलब वीडियो रिकॉर्ड करना नहीं बल्कि एक शॉर्ट फिल्म बनाना हो गया है. जिसमें इमोशंस के साथ-साथ क्रिएटिव सोच भी हो.

सवाल: सिनेमैटोग्राफी में काम मिलना काफी मुश्किल है और रायपुर धीरे धीरे ग्रो हो रहा है. ऐसे में किस तरह प्रोजेक्ट में चैलेंज आते हैं?

जवाब:आज के समय में सोशल मीडिया काफी पावरफुल हो गया है. ऐसा कह सकते हैं कि मोबाइल और सोशल मीडिया ने आज पूरी दुनिया को आपके हाथों में ला रखा है. मेरे सक्सेस होने में भी सोशल मीडिया का हाथ है. मैंने भी छोटे से शुरुआत की थी. धीरे-धीरे सोशल मीडिया के माध्यम से मेरे कांटेक्ट बढ़ते चले गए. आज मुंबई, दिल्ली जैसे मेट्रो सिटीज में भी हम प्रोजेक्ट लेते हैं और शूट करते है. हाल ही में मैंने एक एक्ट्रेस की वेडिंग शूट की है. इसके अलावा भी कई शूट्स मैंने किए हैं.

सवाल: शुरू से ही सिनेमैटोग्राफी एक मेल फील्ड रही है फीमेल के लिए उसमें कितने चैलेंज रहे हैं?

जवाब:रायपुर सोच के मामले में धीरे-धीरे एडवांस होता जा रहा है. पहले जितनी मुश्किलें आज महिलाओं को नहीं होती है. जब मैंने शुरू किया था तो मेल सिनेमैटोग्राफर यह स्वीकार नहीं करते थे कि कोई महिला नया आईडिया दे या उनको लीड करे. इस वजह से शुरुआत में कुछ मुश्किलें हुईं. धीरे-धीरे जब उन्होंने मेरी काबिलियत को पहचाना तो उनकी सोच भी चेंज हुई. आज मेरी खुद की एक टीम है, जिसमें काफी सारे फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर हैं.

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सवाल: घर परिवार से किस तरह मिला सपोर्ट ?

जवाब:शादी के पहले से मैं सिनेमैटोग्राफी करती रही हूं. पहले मेरी मम्मी ने मुझे बहुत सपोर्ट किया. अब शादी के बाद मेरे ससुराल वाले भी मुझे सपोर्ट करते हैं. शादी के बाद मैंने अपने फील्ड में काफी ग्रो भी किया है. पूरे परिवार का सपोर्ट रहने से काफी अच्छा लगता है. एक पॉजिटिविटी आती है कि हम भी कुछ कर सकते हैं. हम भी आगे बढ़ सकते हैं.

सवाल:महिलाओं को जरूरत है अपनी सोच को फॉलो करने की, आगे रास्ता खुदबखुद बनता रहेगा ?

जवाब:जब मैंने खुद काम शुरू किया था, तब मेरी मम्मी ने मुझे सपोर्ट किया. पहले घर वालों की सोच थी की सूट के लिए बाहर जाना पड़ेगा तो कैसे जाएंगे, कैसे रहेंगे? जब पेरेंट्स ने देखा कि मुझमें काबिलियत है. इस चीज में सेफ्टी भी है तो फिर उन्होंने मुझे सपोर्ट किया. उनकी सोच बदलती गई. मुझे लगता है कि सभी चीजों में थोड़ा समय लगता है. धीरे-धीरे सब सही हो जाता है. बस जरूरत है तो फोकस बनाए रखने और अपनी सोच को लेकर आगे बढ़ने की.

Last Updated : Jan 25, 2022, 7:12 PM IST

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