रायपुर: आज लोग अपने फील्ड में क्रिएटिव आइडियाज के चलते न सिर्फ खुद सफल हो रहे हैं, बल्कि दूसरों को भी काम दे रहे हैं. रायपुर की श्रेया गोयल भी इनमें शुमार हैं. शादी के बाद श्रेया की सास और उनके परिवार ने भी खूब सपोर्ट किया. आज वह बड़े-बड़े मॉडल्स की शादी में सिनेमैटोग्राफी कर रहीं हैं. ETV भारत ने सिनेमैटोग्राफर श्रेया गोयल से खास बातचीत की. (Exclusive conversation with cinematographer Shreya Goyal)
सिनेमैटोग्राफर श्रेया गोयल (Chhattisgarh Female Wedding Cinematographer Shreya Goyal) ने बताया कि 'आज मेरा खुद का एक फर्म (कंपनी) है. मैं सिनेमैटोग्राफी के साथ-साथ डायरेक्शन और वीडियो एडिटिंग भी करती हूं. मुझे शुरू से ही एडिटिंग का शौक था. पहले मैं एक निजी कंपनी में एडिटिंग करती थी. मेरी मम्मी का कहना था कि कुछ ऐसी टेक्नीकल चीज सीखों, जो शादी के बाद भी काम आए. एडिटिंग के बाद मैंने डायरेक्शन किया. फिर मैंने अपनी एक छोटी सी कंपनी खोल दी. इसमें मैं डायरेक्शन और एडिटिंग करती हूं. मेरे साथ बाकी लोग भी काम करते हैं, जो फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर हैं'.
जब शौक बना जुनून....
अगर आसान भाषा में कहा जाए तो किसी फिल्म के डायरेक्टर और स्क्रिप्ट राइटर कहानी की कल्पना करके जैसे लिखते हैं उस कल्पना को एक चलचित्र यानी सिनेमा के रूप में सिनेमैटोग्राफी के मदद से ही प्रोजेक्ट किया जाता है. इस काम को करने वाले को सिनेमैटोग्राफर कहते हैं. 4 साल से में सिनेमैटोग्राफी कर रही हूं. आज मेरी फोटोग्राफर और वीडियोग्राफर की पूरी टीम है.
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सवाल: सिनेमैटोग्राफी में कितना चेंज आया, कितनी मुश्किल हुई शूटिंग
जवाब:पहले लोग वीडियो और फोटो के ज्यादा शौकीन नहीं थे. वह सोचते थे कि बस वीडियो शूट हो जाए. एक वीडियो बन जाए, लेकिन आज के समय में लोग क्रिएटिव हो गए हैं. हर व्यक्ति चाहता है कि उसकी शादी अगर शूट हो रही हो तो हर एंगल कवर हो. हर इमोशन कवर हो. इस वजह से आज सूट काफी चेंज हो गया है. आज सिर्फ वीडियो शूटिंग का मतलब वीडियो रिकॉर्ड करना नहीं बल्कि एक शॉर्ट फिल्म बनाना हो गया है. जिसमें इमोशंस के साथ-साथ क्रिएटिव सोच भी हो.
सवाल: सिनेमैटोग्राफी में काम मिलना काफी मुश्किल है और रायपुर धीरे धीरे ग्रो हो रहा है. ऐसे में किस तरह प्रोजेक्ट में चैलेंज आते हैं?