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नवरात्रि का छठवां दिन : माता कात्यायनी को करें प्रसन्न

नवरात्रि में मां दुर्गा के नौ रुपों की आराधना की जाती है. छठवें दिन मां कात्यायनी की पूजा का विधान है.

Worship of Mata Katyayani
नवरात्रि के छठवें दिन माता के कात्यायनी को करें प्रसन्न

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Published : Apr 6, 2022, 10:06 PM IST

रायपुर: मृगशिरा नक्षत्र सौभाग्य योग कौलव और तैतिल करण वृषभ और मिथुन राशि के चंद्रमा के साथ स्कंद षष्ठी का पर्व माता कात्यायनी के स्वरूप की पूजा कर मनाया जाएगा. नव दुर्गा के छठवें स्वरूप का नाम माता कात्यायनी माना गया है. माता कात्यायनी ऋषि की सुपुत्री मानी गईं है. कात्यायनी माता ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी मानी गई है. समस्त गोपियां माता की ही पूजा करती थीं. कात्यायनी माता आज्ञा चक्र से संबंधित हैं. ज्योतिष शास्त्र में कात्यायनी मां का संबंध बृहस्पति ग्रह से माना गया है. देवगुरु बृहस्पत संतान और मनचाहे विवाह के कारक माने गए हैं. इस शुभ दिन कुवांरी कन्या माता कात्यायनी की आराधना और साधना कर मनचाहे पति की प्राप्ति कर सकते हैं.

नवरात्रि के छठवें दिन माता के कात्यायनी को करें प्रसन्न
ऐसे करें माता को प्रसन्न : कात्यायनी माता दुर्लभ गुणों से युक्त सहज सरल जीवन साथी प्रदान करने वाली मानी जाती है. प्रातः काल में सुबह उठकर कुंवारी कन्याओं को माता की आराधना करनी चाहिए. स्वयं पीले कपड़े पहनकर माता को पीले कपड़े का आसन और पीले कपड़े कर ऋृंगार कर पूजा प्रारंभ करनी चाहिए .मां कात्यायनी के सिद्ध मंत्रों का जाप करना श्रेष्ठ माना गया है. इस शुभ दिन दुर्गा चालीसा, दुर्गाष्टकम दुर्गा सहस्त्रनाम, दुर्गा सप्तशती का पाठ करना श्रेष्ठ रहता है. माता कात्यायनी भक्तवत्सल हैं. माता अपने भक्तों पर बहुत जल्दी प्रसन्न हो जाती है. इस दिन एकाशना निराहार फलाहारी उपवास (Ekasana fasting fruit fasting) करना चाहिए. जिससे माता का अनुग्रह भक्तों को शीघ्र प्राप्त हो सके. आज के दिन पीले कपड़े पहनने का विधान है. मंदिर आदि जाकर माता को श्रृंगार के समस्त सामग्री अर्पित करने का विधान है. ये भी पढ़े- नवरात्र का पांचवां दिन: मां स्कंदमाता की पूजा से मिलता है अभय दानमाता कात्यायनी की पूजन विधि : इस दिन माता को रोली, चंदन, कुमकुम, सिंदूर, बंधन और सुहाग की चूड़ियां भेंट कर पूजा की जाती है. मां अनंत सौभाग्य वरदायिनी हैं. नव दुर्गा के छठवें दिन पुंसवन सीमान्त सूती स्नान, जातकर्म, नामकरण, अन्नप्राशन करने पर विशेष शुभ फल प्राप्त होते हैं. माता कात्यायनी की चार भुजाएं हैं. माता का वाहन शेर माना गया है. माता के दर्शन मात्र से ही भक्तों को आत्मविश्वास आत्म बल और उच्च मनोबल की प्राप्ति होती है. नवरात्रि के छठवें दिन किया गया व्रत समस्त अभिलाषा को पूर्ण करता है. स्कंद षष्ठी का गुरुवार के दिन होना एक विशेष संयोग बना रहा है. इस दिन साहस के देवता मंगल ग्रह का प्रवेश कुंभ राशि में होने जा रहा है.

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