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SPECIAL: अनलॉक में बसों के पहिए LOCK, ऑपरेटर्स अपनी मांगों को लेकर अड़े

छत्तीसगढ़ में लंबे समय से बसों का संचालन नहीं हो रहा है. सरकार ने बस संचालन की अनुमति दे दी है. इसके बाद भी बस ऑपरेटर्स अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. बस ऑपरेटरों का कहना है कि अगर उनकी मांग पूरी नहीं की जाएगी, तो वे बस का संचालन नहीं करेंगे. वहीं बस ड्राइवर और अन्य कर्मचारी सरकार से गुजारा भत्ते की मांग कर रहे हैं.

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Published : Jul 3, 2020, 2:10 PM IST

Published : Jul 3, 2020, 2:10 PM IST

Bus operators will operate the bus after govt complete their demands
अनलॉक में बस

रायपुर:लॉकडाउन में बहुत से व्यवसाय प्रभावित हुए हैं. इस दौरान ट्रांसपोर्ट बिजनेस पर भी खासा प्रभाव पड़ा है. बसों के पहिए थम गए हैं. यात्रियों पर निर्भर रहने वाले बस संचालक, ड्राइवर, कंडक्टर के सामने आर्थिक संकट आ खड़ा हुआ है. छत्तीसगढ़ सरकार ने इंटर डिस्ट्रिक्ट बस संचालन की अनुमति दे दी है, बावजूद इसके बस संचालक अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं. जब तक इनकी मांगें पूरी नहीं होंगी, तब तक बसों का संचालन कर पाना फिलहाल छत्तीसगढ़ में मुश्किल है. 19 मार्च से लेकर अब तक प्रदेश में बस संचालकों को 300 करोड़ रुपए का नुकसान सहना पड़ा है.

अनलॉक में बसों के पहिए लॉक

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पूरे प्रदेश में लगभग 12 हजार बसें संचालित होती हैं और इन बसों में काम करने वाले ड्राइवर, कंडक्टर, मुंशी और हेल्पर की संख्या लगभग डेढ़ लाख है. उसके बाद बस के स्टाफ को सरकार से किसी तरह की कोई सहायता नहीं मिली है और न ही बस संचालकों ने चालकों और परिचालकों को किसी तरह की कोई सहायता दी है.

बस संचालक

संचालक कर रहे किराया बढ़ाने की मांग

बस संचालन को लेकर अभी भी छत्तीसगढ़ में असमंजस की स्थिति बनी हुई है. सरकार ने 3 महीने का टैक्स माफ कर दिया है, लेकिन बस संचालकों का कहना है कि 16.50 करोड़ रुपए जुलाई, अगस्त और सितंबर महीने का टैक्स सरकार माफ करे. साथ ही डीजल के दाम बढ़ने की वजह से बस संचालकों का यह भी कहना है कि यात्री किराया बढ़ाया जाए. बस संचालकों का कहना है कि वर्तमान में प्रति किलोमीटर का किराया 1 रुपया है, जिस पर 35% किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं. संचालक अपनी बसों को सरकार के नियम और शर्तों के तहत 50% सोशल डिस्टेंसिंग के नियम का पालन करते हुए चलाने को तैयार हैं.

पंडरी बस स्टैंड
राजधानी के पंडरी बस स्टैंड स्थित बस कर्मचारी कल्याण समिति के लोगों ने ETV भारत को बताया कि सरकार और बस संचालकों से इन्हें किसी तरह की कोई राहत नहीं मिल रही है. इसकी वजह से रोजी-रोटी चलाना भी अब मुश्किल हो गया है. परिवार चलाने के लिए अब इन लोगों को दूसरों से कर्ज लेना पड़ रहा है. बस चलाने वाले चालक और परिचालक की स्थिति भी काफी खराब हो चुकी है. उनका कहना है कि परिवहन मंत्री से मिलकर गुजारा-भत्ता की मांग करेंगे. प्रदेश में प्रमुख बस संचालक
  • पायल ट्रैवल्स की 70 बसें
  • रायपुर बस सर्विस की 60 बसें
  • मनीष ट्रैवल्स की 50 बसें
  • दुर्ग रोडवेज की 45 बसें
  • नवीन ट्रांसपोर्ट की 30 बसें
  • वृंदा ट्रैवल्स की 20 बसें
  • जिया ट्रैवल्स की 20 बसें
  • सुमित ट्रैवल्स की 10 बसें
  • जय भोले ट्रैवल्स की 10 बसें
  • दीवान ट्रैवल्स की 8 बसें और
  • चहल ट्रैवल्स की 8 बसें

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