रायपुरःछत्तीसगढ़ में धर्मांतरण पर सियासत थमने का नाम नहीं ले रहा है. बीजेपी धर्मांतरण को ले कर लगातार हल्ला बोले हुए है. इससे पहले भी 2003 के चुनाव में कांग्रेस को सत्ता (Power To Congress) से बाहर करने के लिए बीजेपी ने धर्मांतरण (BJP Converts) को बड़ा मुद्दा (Big Issue Of Conversion) बनाया था. तब दिलीप सिंह जूदेव बीजेपी के लिए नायक बन कर उभरे थे. हालांकि जूदेव मुख्यमंत्री नहीं बन पाए लेकिन 15 सालों बाद सत्ता में 14 सीटों पर सिमटी बीजेपी जिस तरीके से धर्मांतरण के मुद्दे को हवा दे रही है, ऐसे में सवाल उठने लगा है कि क्या बीजेपी छत्तीसगढ़ में 2023 का चुनाव धर्मांतरण (2023 election conversion) के मुद्दे पर लड़ेगी?
2023 का चुनाव धर्मान्तरण के मुद्दे पर धर्मांतरण के मुद्दे पर बीजेपी आक्रामकछत्तीसगढ़ में जिस तरह से धर्मांतरण को ले कर सियासत देखने को मिल रही है, लगता है कि 2023 का चुनाव भाजपा धर्मान्तरण के मुद्दे को लेकर लड़ेगी. क्योंकि बीते दिनों भाजपा ने धर्मांतरण का मुद्दा और धर्म गुरू की पिटाई (Religious Leader Beating) करने वाले भाजपा कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी को ले कर बड़ा प्रदर्शन किया था. भाजपा के तमाम नेता भीगते हुए धर्मांतरण के खिलाफ सड़कों पर उतर हुंकार भरे थे. भाजपा के इस आक्रामक रवैया को देख कर राजनीतिक विशेषज्ञ भी यही मान रहे हैं कि 2023 के चुनाव का मुख्य मुद्दा धर्मांतरण ही होगा.
2023 के विस चुनाव में धर्मांतरण रहेगा बड़ा मुद्दा!छत्तीसगढ़ में धर्मांतरण को ले कर सियासत कोई नई चीज नहीं है. 2003 में भी देखा गया कि जब जोगी और जुदेव दोनों ही चुनावी मैदान में थे, एक तरफ बीजेपी की ओर से चेहरा जूदेव हुआ करते थे तो दूसरी ओर कांग्रेस की तरफ से जोगी थे. जोगी को लगातार घेरने की कोशिश इसी बात को लेकर के होती थी कि वह ईसाई मिशनरी को बढ़ावा दे रहे हैं. धर्मांतरण को बढ़ावा (encourage conversion) दे रहे हैं. अगर हम ताजे हालात को देखें तो जिस तरीके से पुरानी बस्ती थाने की घटना हो या भिलाई में पिटाई का हो, इन तमाम मसलों पर शासन (Governance) कार्रवाई भी करती है. लेकिन बीजेपी जिस तरीके से इस विषय को लेकर के इश्यू बना रही है, हर जिलों में प्रदर्शन कर रही है, उससे यह साफ तौर पर दिखता है कि जिस तरह से धर्मांतरण एक बड़ा मुद्दा बन चुका है, 2023 में भी यह इश्यू छत्तीसगढ़ में काम करेगा. छत्तीसगढ़ में एक बड़ा इलाका आदिवासी वर्ग (tribal class) का है. आदिवासी क्षेत्र में हम देखते हैं कि ईसाई वर्ग वहां पर पाया जाता है. आदिवासी फैक्टर (tribal factor) तय करता है कि सरकार किसकी होगी. अगर आदिवासियों को आपस में बांटने में कामयाब हुए तो भाजपा को इसका पूरा लाभ मिलेगा.
भूपेश बघेल की जगह सिंहदेव बने सीएम, तो शासन प्रशासन स्तर पर देखा जा सकता है बड़ा बदलावधर्मांतरण के मुद्दे पर भाजपा की 'गिद्ध' नजर भाजपा नेता गौरीशंकर श्रीवास का कहना है कि 2003 में हमने चुनाव बहुत सारे मुद्दे को लेकर के लड़ा था. उसमें धर्मांतरण सबसे प्रमुख मुद्दा था. हमने हजारों हिंदुओं की घर वापसी करवाई थी. अभी वर्तमान में स्थिति बहुत ज्यादा बिगड़ चुकी है. ढाई साल में सुदूर अंचल के भोले-भाले आदिवासी हैं. उन्हें कन्वर्ट किया जा रहा है. शहर में तो खुलेआम ईसाई मिशनरी (Christian missionary) के लोग थाने के सामने बोल रहे हैं कि हम कन्वर्ट (convert) होंगे. सरकार क्या ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने की हिम्मत दिखा पा रही है? सरकार के हाथ क्यों बंधे हुए हैं? यह बड़ा मुद्दा कांग्रेस (Congress) के लिए होगा. हमारे लिए प्राथमिकता है.