रायपुर: सीएम भूपेश बघेल ने छत्तीसगढ़ मंत्रिमंडल (Cabinet reshuffle in Chhattisgarh) में फेरबदल की संभावना जताई है. शुक्रवार को अपने कार्यकाल के 3 साल पूरे होने पर सीएम के इस संकेत से सियासी हलचल बढ़ गई है. हालांकि सीएम बघेल ने यह भी कहा है कि ''आलाकमान के निर्देश के बाद ही कोई बदलाव होगा.''
भूपेश बघेल के बयान के बाद मंत्रिमंडल में फेरबदल को लेकर अटकलें तेज हो गई है. हालांकि राजनीति के जानकारों की अलग-अलग राय है. कुछ मानते हैं कि उत्तरप्रदेश चुनाव तक पार्टी नेतृत्व इस मामले में नहीं उलझेगा. कुछ जानकार मानते हैं कि प्रदेश के 2 बड़े नेताओं, सीएम भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बीच चल रही तनातनी की वजह से राजस्थान की तरह संतुलन बनाने के लिए जल्द मंत्रिमंडल में फेरबदल संभव है.
फेरबदल हुआ तो ये नए चेहरे हो सकते हैं शामिल
महिला एवं बाल विकास मंत्री अनिला भेड़िया की जगह आदिवासी वर्ग से ही स्वर्गीय महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.
सरगुजा संभाग के विधायक बृहस्पति सिंह को भी मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है. ऐसे में आदिवासी वर्ग से ही आने वाले शिक्षा मंत्री डॉक्टर प्रेमसाय सिंह टेकाम पर गाज गिर सकती है.
अगर पार्टी आलाकमान राजस्थान की तरह दोनों पक्षों में संतुलन बनाने के लिए मंत्रिमंडल में बदलाव करता है तो स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव के बेहद करीबी माने जाने वाले विधायक शैलेश पांडे को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.जानकार मानते हैं कि पांडे उच्च शिक्षा और युवा कल्याण जैसे ही विभाग के मंत्री बनना ज्यादा पसंद करेंगे. ऐसे में मंत्री उमेश पटेल के विभागों में भी बदलाव संभव है.
मंत्री जय सिंह अग्रवाल की जगह जातिगत समीकरण को ध्यान में रखकर वरिष्ठ कांग्रेसी नेता सत्यनारायण शर्मा या धनेंद्र साहू को मंत्रिमंडल में लिया जा सकता है.
जानकारों की मानें तो दो बड़े नेताओं के बीच संतुलन बिठाने की अगर पार्टी कोशिश करेगी तो इसका खामियाजा मुख्यमंत्री के करीबी और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव के घोर विरोधी अमरजीत भगत को उठाना पड़ सकता है. भगत की जगह प्रदेश में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व कर रहे विधायक मोहन मरकाम को जगह मिल सकती है.
लंबे समय से मंत्रिमंडल में फेरबदल की अटकलें
पिछले कई महीनों से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंह देव लगातार दिल्ली का दौरा कर रहे हैं और पार्टी के नेताओं से मिल रहे हैं. जब भूपेश बघेल 12 नवंबर को सोनिया गांधी से मिले थे, तभी से प्रदेश मंत्रिमंडल के फेरबदल की अटकलें लगनी शुरू हो गई थी, क्योंकि उसी दिन राजस्थान कैबिनेट फेरबदल पर भी दिल्ली में चर्चा हुई थी. हालांकि उसके बाद यह मामला ठंडा हो गया. लेकिन शुक्रवार को मुख्यमंत्री बघेल ने फिर से इस बात का संकेत दिया है कि पार्टी आलाकमान प्रदेश के मंत्रिमंडल में भी फेरबदल कर सकता है.
जातिगत समीकरण रखते हैं मायने
छत्तीसगढ़ में 90 विधानसभा सीटें हैं, जिसमें से 39 रिजर्व है .29 सीटें एसटी और 10 सीटें एससी के लिए आरक्षित है, 51 सामान्य सीटें हैं, जिनमें 11 सीटों पर अनुसूचित जाति और आधे से ज्यादा सीटों पर ओबीसी वर्ग का प्रभाव है. प्रदेश में अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी 47% है, जिसमें करीब 14% साहू और करीब इसी के बराबर कुर्मी वोटर हैं. प्रदेश में 32% आदिवासी हैं, 13% अनुसूचित जाति के लोग हैं.