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Published : Oct 14, 2021, 7:18 PM IST

Updated : Oct 15, 2021, 3:35 PM IST

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लकवाग्रस्त वृद्ध महिला को माता से मिलाने की नेकी से स्टार बन गईं 'पूजा'

शारदीय नवरात्रि (Sharadiya Navratri) चल रहा है. देश भर में मां शक्ति के नौ रूपों की पूजा हो रही है. शक्ति का दूसरा रूप नारी है. माता, बेटी और बहू में नारी शक्ति के रूप में पहचानी जाती है. ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की नव दुर्गा (Nav Durga Of Chhattisgarh) में आज हम आपको एक ऐसी नारी शक्ति (Woman Power) से रूबरू कराएंगे जिसने अपने जीवन में नेक काम के बदौलत रातों रात अपना नाम स्टार की सूची में दर्ज करा दिया.

a virtuous woman-constable made astar in raipur
लकवाग्रस्त वृद्ध महिला को माता से मिलाने की एक नेकी से स्टार बन गईं पूजा

रायपुरः शारदीय नवरात्र चल रहा है. देश भर में मां शक्ति के नौ रूपों की पूजा हो रही है. शक्ति का दूसरा रूप नारी है. माता, बेटी और बहू में नारी शक्ति के रूप में पहचानी जाती है. ईटीवी भारत के खास कार्यक्रम छत्तीसगढ़ की नव दुर्गा में आज हम आपको एक ऐसी नारी शक्ति से रूबरू कराने जा रहे हैं, जो मां बम्लेश्वरी (Maa Bamleshwari) के दरबार में अंडर ट्रेनिंग के दौरान एक बुजुर्ग महिला को हाथों में उठा कर करीब 100 सीढ़ी चढ़ी और बुजुर्ग महिला को मां बम्लेश्वरी का दर्शन कराया. इस मात्र एक नेकी ने महिला आरक्षक को रातों-रात स्टार बना दिया. दरअसल, बुजुर्ग महिला को अपने सीने से लगाते हुए मंदिर की ऊंची सीढ़ियां चढ़ने, दर्शन कराने का पूरा वीडियो सोशल मीडिया (Social Media) पर छा सा गया. हम बात कर रहे हैं महिला आरक्षक पूजा देवांगन (Female Constable Pooja Devangan) के बाबत...

लकवाग्रस्त वृद्ध महिला को माता से मिलाने की एक नेकी से स्टार बन गईं पूजा
सवाल: आपके मन में कैसे आया कि बुजुर्ग को उठाकर सीढ़ी चढ़ा जाए? जवाब: उस समय एक श्रद्धालु (Devotees) के साथ थी, जो मेरे परिचित थे. उनकी वाइफ ने मुझे दिखाया कि वह लेडी चढ़ नहीं पा रही है. उनके पति एक हाथ से सहारा देकर चढ़ा रहे थे. मुझे लगा कि उनकी मदद की जानी चाहिए. चूंकि वह महिला असहाय थी. अस्थामा के साथ लकवा ग्रस्त भी थी. ऐसे में मैंने अपने दोनों हाथों से उठाया और सीढ़ी की चढ़ाई शुरू कर दी. सच कहूं तो उस समय सोचने का टाइम नहीं था. तुरंत डिसीजन लेना पड़ा. महिला को उठाकर करीब 100 सीढ़ी चढ़ाई करने के बाद मुझे किसी तरह का दर्द नहीं हुआ. उसके बाद उन्हें माता का दर्शन (Mother's Darshan) करवाया.सवाल: नवरात्रि में काफी भीड़ होता है. ऐसे में किस तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा? जवाब: भीड़ बहुत थी. ऐसे में मैंने पीछे की सीढ़ियों से लेकर गई थी. जहां से श्रद्धालुओं की वापसी (Return Of Pilgrims) होती है. भीड़ तो वहां पर थी लेकिन लोग देख रहे थे कि मैं एक महिला को उठाकर ले जा रही हूं और वर्दी में भी हूं. तो वर्दी को देखते हुए भी कुछ लोगों ने मुझे जगह दी. सबसे बड़ी बात कोई लेडी को यदि कोई उठा कर ले जा रहा है तो वहां इंसानियत वाली बात आ जाती है. लोगों ने मुझे समझा और खुद से जगह दी. कुछ जगहों पर मुझे लगा कि शायद मुझे बोलते हुए चलना चाहिए तो लोगों को आवाज देकर भीड़ को साइड करती थी. चूंकि, महिला को सिक्योर कर के गोद में लेकर जा रही थी. थोड़ा टफ तो था, लेकिन सिचुएशन को काफी अच्छे से हैंडल कर ली.सवाल: आपको कितना समय हुआ था पुलिस में भर्ती हुए? जवाब: मुझे 6 महीना हुआ था और मैं अंडर ट्रेनिंग थी. राजनांदगांव के पुलिस प्रशिक्षण महाविद्यालय (Training College) से डोगरगढ़ के लिए हमारी तैनाती हुई थी. उस दौरान माता के गर्भगृह में मेरी ड्यूटी लगी थी.सवाल: आपकी शिक्षा किस तरह रही? जवाब: मैं सरस्वती शिशु मंदिर रोहिणी पूणम रायपुर में 12वीं तक पढ़ाई की. उसके बाद इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्युनिकेशन इंजीनियरिंग (Electronics And Telecommunication Engineering) की पढ़ाई जगदलपुर से की है. उसके बाद विभिन्न परिस्थितियों से गुजरती रही. चूंकि आर्थिक विषमता का सामना मुझे बचपन से करना पड़ा. मैंने बहुत सारे एग्जाम दिए. उसके बाद इस पुलिस का एग्जाम आया तो उसके लिए भी काफी लंबी मेहनत की, तब जाकर कामयाब हुई.सवाल: पुलिस विभाग में नौकरी करनी है, क्या पहले कभी सोची थीं? जवाब: मेरे ख्वाब में बिल्कुल भी नहीं था. कभी मैंने नहीं सोचा कि मुझे पुलिस बनना है. कई बार ऐसा होता है कि हम जो कभी बिल्कुल भी सोचे नहीं रहते, उस दिशा में हम नॉनस्टॉप चलते जाते हैं. हमारी मेहनत (Our Hard Work) कहीं न कहीं उस तक पहुंचा देती है. क्योंकि मेहनत तो की थी, लेकिन शुरुआत से मैंने इसके बारे में सपना नहीं देखा था.


सवाल: बुजुर्ग को दर्शन कराने के बाद सोशल मीडिया में आप स्टार बन गईं, कैसी अनुभूति हुई?
जवाब: सच कहूं तो एक ऐसा फीलिंग है, जिसको हम कभी एक्सप्लेन नहीं कर सकते. यह सारी फीलिंग से बढ़कर जो था. वह सारी फीलिंग मुझे तत्काल मिल गई थी. जैसे ही मैंने दर्शन करवाया उस लेडी को, तो उसके हस्बैंड ने जेब से कुछ पैसे निकाले. उन्होंने मेरे सामने हाथ बढ़ाया कि पैसे ले लूं. उन्होंने कहा कि आपने मेरी सहायता की है. आपने मेरी वाइफ को दर्शन करवाया. उसके बाद मैंने उनको सीधा नकार दिया और कहा कि देखिए सर, यह मेरी ड्यूटी है. मेरा काम ही है कि मैं दर्शन कराऊं. उस समय जो सटिस्फेक्शन था. मैंने उनसे कहा कि आज आपके बल-बूते माता के दर्शन कर ली. इस सटिस्फेक्शन (Satisfaction) से बढ़कर और कोई चीज नहीं है. इसके बाद मुझे कई अवॉर्ड्स मिले. आप लोगों ने भी खूब सराहा. जनता ने भी बहुत प्यार दिया. इसके लिए मेरे पास शब्द नहीं है. मैं इसके लिए हमेशा शुक्रगुजार रहूंगी. कोशिश रहेगी कि मैं आगे भी अच्छा करती रहूं. सच कहूं तो आपके मन में यदि इंसानियत है तो आप इंसानियत से बढ़कर और कुछ नहीं हैं. यह हमेशा हर एक पर्सन के अंदर होती है और इसे लाना चाहिए.

सवाल: वर्दी पर लगातार सवाल उठते रहे हैं. आपने उन सवालों का जवाब दिया. डीजीपी ने क्या कहा?
जवाब: मुझे डीजीपी साहब से इंद्रधनुष पुरस्कार से सम्मानित किया. चूंकि 2 दिन में बहुत ज्यादा वायरल हो गई थी. हालांकि मैं लिस्टेड नहीं थी. फिर भी मुझे बुलाया गया और सबसे पहले कार्यक्रम के शुरुआत में ही मुझे डीजीपी (DGP) साहब ने बुलाया. इस मामले पर मुझे कहने का मौका दिया. उन्होंने कहा कि बहुत अच्छा कार्य किया है. आगे भी इस तरह का नेक कार्य जारी रखना ताकि पुलिस-प्रशासन (Police Administration) पर हमेशा जो उंगलियां उठती रही हैं, उनके बीच पुलिस का मानवीय चेहरा भी लोगों तक पहुंच सके. मैं इसमें एक छोटी सी सहभागिता कर पाई. यह मेरे लिए काफी खुशी की बात है.

सवाल: आप लोगों को क्या संदेश देना चाहती हैं?
जवाब: मुझे ऐसा लगता है कि जिंदगी बहुत लंबी है. हर छोटे-छोटे पहलुओं, अनुभवों के सहारे हम जिंदगी की सीढ़ियां चढ़ते हैं. मुझे ऐसा लगता है कि हम हर एक अनुभव को अपने अच्छे कामों में लगाएं. क्योंकि अच्छा काम ही आपको अच्छे लोगों से मिलाता है और अच्छी जिंदगी देता है. जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए एक चीज और भी है. वह फिजिकल फिटनेस से कहीं ज्यादा मेंटल फिटनेस की जरूरत है.

Last Updated : Oct 15, 2021, 3:35 PM IST

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