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दो साल बाद भी गौठान लापता, पूछने पर इसकी टोपी उसके सिर - Raigarh Forest Department is responsible for construction of Gauthan

छत्तीसगढ़ के गौठान योजना की तारीफ पूरा देश कर रहा है. लेकिन अभी भी प्रदेश में कई क्षेत्र ऐसे हैं जहां गौठानों को लेकर लापरवाही बरती जा रही (Gauthan construction in Kukurda) है.

Gauthan construction incomplete in Kukurda of Raigarh
दो साल बाद भी गौठान लापता पूछने पर इसकी टोपी उसके सिर

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Published : May 25, 2022, 1:22 PM IST

रायगढ़ : रायगढ़ वन मंडल के तहत भी राज्य सरकार की गौठान योजना को संचालित करने की जिम्मेदारी दी गई है. जिन गांवों में राजस्व भूमि उपलब्ध नहीं है वहां वन भूमि उपलब्ध कराकर गौठान संचालित करने के निर्देश है. इन गौठानों में महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से गोबर खरीदी, वर्मी कंपोस्ट खाद का निर्माण कर विक्रय करने ,चारागाह निर्माण और गौ देखभाल जैसे महती कार्य करने होते हैं.


गौठानों की जमीनी हकीकत क्या :रायगढ़ पूर्वांचल क्षेत्र के जामगांव वन परिक्षेत्र के तहत आने वाले कुकुरदा बिट में वन विभाग ने आवर्ती केंद्र गौठान का निर्माण पिछले 2 साल से लंबित (Gauthan construction incomplete in Kukurda of Raigarh) है. वन रक्षक नरेश सतपथी इस आवर्ती केंद्र के निर्माणकर्ता हैं. ग्राम कुकुरदा के निर्मल पुजारी ने बताया कि ''लगभग एक वर्ष से ज्यादा हो गया जंगल की लकड़ी काट कर झोपड़ी बनाई गई है.जिसे पैरा और पॉलिथिन से ढंका गया. जो हवा में उड़ चुका है.कोटना निर्माण भी नहीं किया गया. 3 नग नाडेप टांका बनाया गया है जो गुणवत्ताविहीन है. न तो बोर खोदा गया है और न ही घेराव किया गया.''

वनविभाग कर रहा है अनदेखी :ग्राम सरपंच मोहित राठिया ने बताया कि ''यह कार्य पंचायत को आया था. लेकिन गांव में शासकीय भूमि नहीं होने के कारण वन विभाग को सौंपा गया. वन विभाग निर्माण को लेकर किसी तरह की जानकारी पंचायत और ग्रामीणों को नहीं दे रहे हैं. निर्माण बहुत ही घटिया हो रहा (Gauthan construction in Kukurda) है. अस्थायी सेड बनाई गई है जो पॉलीथिन ढकी थी वो उड़ गई. दो साल बाद भी गौठान नहीं शुरु हो पाया है.''

क्या कहना है वनविभाग का :उप वन मंडलाधिकारी अमिता गुप्ता ने बताया कि '' यह दुखद है कि अब तक गौठान का काम पूरा नहीं हो पाया. पहले कोविड और फिर वनविभाग के कर्मचारियों के हड़ताल के कारण भी काम प्रभावित हुआ है. साथ ही साथ कर्मचारियों के स्थानांतरण के कारण भी काम में तेजी नहीं आई. अब इसे एक महीने के अंदर पूरा किया जाएगा. ''

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वनविभाग से कैसे मिलती है स्वीकृति : वन मंडल 20 हेक्टेयर के तहत 18 लाख 40 हजार 9 सौ रुपये की स्वीकृति दी जाती (Raigarh Forest Department is responsible for construction of Gauthan) है. वहीं 7 हेक्टेयर के आवर्ती केंद्र के लिए लगभग 12 लाख रूपये स्वीकृति के प्रावधान है. वन मंडल रायगढ़ से मिली जानकारी के अनुसार रायगढ़ अनुभाग में 33 आवर्ती केंद्र हैं. जिनमे 8 सारंगढ़ रेंज , 27 रायगढ़ रेंज में हैं. 12 आवर्ती केंद्रों में गोबर खरीदी करने के लिये मुनादी करा दी गयी है. वहीं जिनमे 5 में खरीदी चालू है. इनमें बाकी 7 से ज्यादा को आवर्ती केंद्र के रूप में विकसित करना अपव्यय होगी, इसलिए इन्हें चारागाह के रूप में विकसित किया जाएगा.

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