कोरबा : अजीत जोगी जब छत्तीसगढ़ के पहले मुख्यमंत्री बने (Former Chief Minister Ajit Jogi) थे. तब जोगी के गढ़ मरवाही से रामदयाल उइके विधायक हुआ करते थे. कांग्रेस पार्टी हाईकमान ने छत्तीसगढ़ राज्य के अस्तित्व में आने के बाद अजीत जोगी का नाम सीएम के पद के लिए फाइनल किया. तब उइके ही वह व्यक्ति थे. जिन्होंने अजीत जोगी के लिए अपनी विधायक की सीट छोड़ दी थी. जिसके बाद इसी मरवाही से अजीत जोगी पहली बार विधायक निर्वाचित हुए और सीएम के पद पर आने वाले 3 साल तक बने रहे. अब वही उइके जूनियर जोगी को सीख दे रहे हैं.कह रहे हैं कि "भतीजे अमित को विनम्र होना होगा, अन्यथा पार्टी पूरी तरह से टूट जाएगी. एक भी सीट लाना मुश्किल है".
अमित जोगी को रामदयाल उइके ने दी सीख, कहा कार्यकर्ताओं से करें प्यार ब्रिलियंट व्यक्ति थे जोगी, योग्यता को देख छोड़ी थी सीट :रामदयाल उइके (BJP LEADER Ramdayal Uikey) ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि अजीत जोगी बेहद ब्रिलिएंट व्यक्ति थे. वह आईपीएस और आईएएस रहे थे. बहुत ही योग्य व्यक्ति थे. इसलिए सिर्फ मरवाही ही नहीं संपूर्ण छत्तीसगढ़ के चहुंमुखी विकास के लिए हमने अपनी सीट त्याग दी थी. जिसके बाद निसंदेह उन्होंने सीएम बनने के बाद पहले 3 साल में बहुत ही अच्छा काम किया.प्रदेश का विकास हुआ, जब अकाल का दौर आया तब काम के बदले अनाज योजना लाई गयी. उस दौर में भी किसी के पास अनाज की कमी नहीं थी. अजीत जोगी और भतीजे अमित के विचारधारा में जमीन आसमान का अंतर :उइके ने आगे कहा कि अजीत जोगी और अमित जोगी के विचारधारा में जमीन आसमान का अंतर है. अजीत जोगी के प्रभाव से ही उनकी पार्टी को चार-पांच सीट मिल गई थी. लेकिन अभी मुझे भी कुछ दिनों पहले पता चला कि अब दो ही विधायक रह गए हैं. पार्टी में कुछ ठीक नहीं चल रहा है. कहीं ना कहीं आपसी समझ और तालमेल का अभाव है. जोगी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष काफी सुस्त पड़ गए हैं. उइके ने बिना नाम लिए कहा कि कहीं ना कहीं वह दुखी होकर पार्टी छोड़ कर गए हैं, या उन्हें निष्कासित किया गया है. मैं ऐसा मानता हूं कि कहीं ना कहीं जैसा कि अजीत जोगी देश के लिए सोचते थे, प्रदेश के लिए सोचते थे. गरीबों और आदिवासियों के लिए सोचते थे. वही सोच भतीजे अमित को अपनानी चाहिए.उन्हें कार्यकर्ताओं को प्यार मोहब्बत से अपने पास रखना चाहिए. अगर कार्यकर्ताओं को सम्मान मिले तो वह पार्टी छोड़ते नहीं हैं. इससे पार्टी को मजबूती ही मिलती है. अब यह पूरी तरह उनके कार्य पर निर्भर करता है कि वह कैसा काम करते हैं. अगर इसी तरह से चुप बैठे रहेंगे तो, मुझे नहीं लगता कि आने वाले चुनाव में जोगी के पार्टी को एक भी सीट Ramdayal Uikey gave a lesson to Amit Jogi in korba मिलेगी.''
ऑफर मिला तो क्या जाएंगे जोगी की पार्टी में :पूर्व विधायक रामदयाल उइके से जब पूछा गया कि आप जोगी के पुराने साथी रहे हैं, यदि अमित आपको पार्टी में आकर इससे मजबूत करने का ऑफर दें, तब आप क्या करेंगे? इस पर उइके ने कहा कि ''अब यह बात स्पष्ट हो चुकी है. हमने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की मौजूदगी में घर वापसी की है.हम गांव गांव तक जाकर बीजेपी को ही मजबूत बनाएंगे. आने वाले समय में प्रदेश में बीजेपी की ही सरकार बनेगी. इस बार विधानसभा चुनाव में भाजपा को 70 से ज्यादा सीट मिलेंगी और कांग्रेस के पास 10 से 12 सीटें ही बच जाएंगी.पिछली बार के विधानसभा चुनाव में जो हुआ था. इस बार उसके ठीक विपरीत परिणाम आएगा.
उइके 4 बार के विधायक सबसे पहले बीजेपी फिर कांग्रेस और अब फिर से बीजेपी :रामदयाल उइके ने जब अजीत जोगी के लिए विधायक की सीट छोड़ी थी. तब वह अविभाजित मध्यप्रदेश में 1998 में मरवाही सीट से भाजपा के विधायक थे. लेकिन जब छत्तीसगढ़ राज्य अस्तित्व में आया तब उइके ने पाला बदल लिया और अजीत जोगी के प्रभाव में आकर विधायक की सीट ही छोड़ दी .फिर कांग्रेस में शामिल हो गए. मरवाही से अजीत जोगी ने उप चुनाव लड़ा और जीते. अब यह जोगी परिवार का गढ़ कहलाता है. कांग्रेस में आने का इनाम रामदयाल उइके को मिला. छत्तीसगढ़ प्रदेश अस्तित्व में आया और परिसीमन के बाद कोरबा जिले से आदिवासियों के लिए आरक्षित विधानसभा सीट पाली तानाखार से रामदयाल उइके को पार्टी ने टिकट दिया. तब से लेकर अब तक पाली तानाखार कांग्रेस का गढ़ है. रामदयाल उइके यहां से लगातार 3 बार विधायक रहे.
कहानी में एक बार फिर से ट्विस्ट आया और अजीत जोगी ने अपनी पार्टी का गठन किया. कयास लगाए जाने लगे कि उइके जनता कांग्रेस में चले जाएंगे, लेकिन उईके ने भाजपा का दामन थाम लिया. पिछले विधानसभा चुनाव के ठीक पहले रामदयाल उइके ने एक बार फिर पार्टी बदली और तत्कालीन बीजेपी के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के प्रभाव में अमित शाह के समक्ष भाजपा में शामिल हो गए. तब रामदयाल प्रदेश कांग्रेस कमेटी में कार्यकारी अध्यक्ष भी थे.रामदयाल उइके ने 4 साल पहले ही अपनी ही सीट पालीतानाखार से चुनाव लड़ा. लेकिन इस बार रामदयाल हार गए और कांग्रेस जीती.वर्तमान में यहां कांग्रेस के मोहित राम केरकेट्टा विधायक हैं.