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कोरबा में व्याख्याताओं का आंदोलन, प्राचार्य बनाने की मांग

छत्तीसगढ़ में शिक्षकों का संविलियन (merger of teachers in chhattisgarh) होने के बाद शिक्षक संगठनों का बंटवारा (division of teachers' unions) हो चुका है. अलग-अलग आंदोलन हो रहा हैं. पहले एक मांग थी संविलियन, अब सबकी अपनी-अपनी मांगें हैं. सहायक शिक्षक वेतन विसंगति को लेकर रायपुर में डटे हुए हैं. अब छत्तीसगढ़ व्याख्याता संघ (Chhattisgarh Lecturer Association) ने भी आंदोलन की राह पकड़ ली है. गुरुवार को कोरबा जिले के व्याख्याताओं (Lecturer of Korba District) ने लंबी रैली निकाली और राज्यपाल, मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा.

Lecturer's union movement in Korba
कोरबा में व्याख्याता संघ का आंदोलन

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Published : Dec 23, 2021, 9:38 PM IST

कोरबाः कोरबा में व्याख्याताओं ने रैली निकाली (Lecturers took out a rally in Korba) और राज्यपाल, मुख्यमंत्री व शिक्षा मंत्री के नाम कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा. शिक्षकों का संविलियन होने के बाद संगठनों का बंटवारा हो चुका है. अलग-अलग आंदोलन हो रहा हैं. पहले एक मांग थी संविलियन लेकिन अब सबकी अपनी-अपनी मांगें हैं.

सहायक शिक्षक वेतन विसंगति को लेकर रायपुर में डटे हुए हैं तो अब छत्तीसगढ़ व्याख्याता संघ ने भी आंदोलन की राह पकड़ ली है. गुरुवार को व्याख्याताओं ने मांगों को लेकर रैली निकाली. प्रमुख मांगों में व्याख्याताओं का प्राचार्य पद पर पदोन्नत (Lecturers promoted to the post of Principal) करना शामिल है.

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पहले से आंदोलन पर हैं सहायक शिक्षक
छत्तीसगढ़ शासन के हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूलों में व्याख्याता अध्यापन कार्य पूर्ण कर आते हैं. प्राथमिक स्कूल में पदस्थ सहायक शिक्षक (assistant teacher posted in primary school) पहले ही आंदोलनरत हैं और जिले में प्राथमिक शिक्षा का बुरा हाल है. प्रदेश भर में कमोबेश यही स्थिति है. अब व्याख्याता संघ ने भी आंदोलन की बात कही है.

मांगें पूरी नहीं होने पर व्याख्याताओं ने 10 जनवरी से अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल करने की बात कही है. रायपुर के बूढ़ा तालाब पर प्रदेश भर के व्याख्याता एकत्र होंगे. उनकी प्रमुख मांगों में वेतनमान, अंग्रेजी स्कूल खोलने पर स्टाफ के साथ हिंदी स्कूलों को बंद नहीं करने, शिक्षकों की सेवानिवृत्ति 65 वर्ष करने और पदोन्नति आदि पर आवाज उठाई.

चरमराई शिक्षा व्यवस्था

सहायक शिक्षकों के आंदोलन से शिक्षा व्यवस्था का पहले ही बुरा हाल है. 10 जनवरी से यदि व्याख्याता भी आंदोलन पर चले जाते हैं तो व्यवस्था संभालना मुश्किल हो जाएगा. सरकार को जल्द ही शिक्षकों के आंदोलनों पर निर्णय लेना होगा, अन्यथा कोरोना काल के बाद जो शिक्षा व्यवस्था पटरी पर लौटने लगी थी, अब फिर से वह बेपटरी हो सकती है. प्रदेश भर में व्याख्याताओं की संख्या लगभग 6000 है. जबकि जिले में 450 व्याख्याता हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूल में अध्यापन कार्य कराते हैं.

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