कोरबाः प्रदेश सहित कोरबा जिले में भी 1 दिसंबर से धान खरीदी का आगाज हो गया है. धान बिक्री में किसानों को जटिल प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ रहा है. पहले दिन धान बेचने के लिए टोकन कटाने 23 किसानों में से कुछेक ही पहुंचे.
धान बेचने के लिए किसान एक दिन पहले धान खरीदी केंद्र पहुंचते हैं. फड़ प्रबंधक को बताते हैं कि इस दिन धान लेकर पहुंचेंगे. प्रबंधक किसान को टोकन (token to farmer) देते हैं. नकटीखार केंद्र पर 1 दिन में 800 से 1000 क्विंटल धान खरीदी की व्यवस्था है. किसी केंद्र पर 1 दिन में 1000 क्विंटल खरीदी की क्षमता है तो इससे अधिक का अपॉइंटमेंट नहीं दिया जाएगा.
किसान को इसके बाद की तारीख दी जाएगी. धान केंद्र तक लाने के लिए ट्रैक्टर या अन्य साधन का इंतजाम करना होता है. जिले में 6 नए धान खरीदी केंद्र बनाए गए हैं. किसान धान अपने बोरे में लेकर खरीदी केंद्र पहुंचते हैं. यहां पहले से बारदानों(बोरे) की व्यवस्था होती है. किसान अपने बोरे से धान को केंद्र में उपलब्ध बारदाने में पलटते हैं. इसके लिए धान खरीदी केंद्र पर मजदूरों की व्यवस्था (Arrangement of laborers at paddy procurement center) पहले से ही रहती है. खरीदी केंद्रों पर पर्याप्त मात्रा में बारदानों की व्यवस्था नहीं हो पाती, जिसके कारण कई बार किसानों को परेशान होना पड़ता है.
नमी के आधार पर तय होती है क्वालिटी
उन्हें अपने बारदानों से ही धान बेचना पड़ता है. इसके बदले में उन्हें बारदाने वापस कर दिए जाने का नियम सरकार ने बना दिया है. प्रत्येक बोरे में 40 से 50 किलोग्राम धान लिया जाता है. ताकि इसके संग्रहण में कोई परेशानी ना हो. धान की क्वालिटी उसकी नमी के आधार पर निर्धारित की जाती है.
प्राथमिक स्तर पर फड़ प्रभारी धान खरीदी केंद्रों पर नमी मापक यंत्र की व्यवस्था (Moisture measuring device at paddy procurement centers) करके रखते हैं. धान की नमी 10 से लेकर 17% के मध्य होने चाहिए. 17% से अधिक नमी होने पर यह धान स्वीकार नहीं किया जाएगा. सरकार ने कितनी जमीन में कितने धान का उत्पादन हो सकता है, यह भी तय कर दिया है. प्रति हेक्टेयर अधिकतम 37 क्विंटल धान खरीदने का नियम बना दिया है. पटवारी यह प्रमाणित करते हैं कि किसान ने अपने कुल रकबे में कितने धान का उत्पादन किया है.