Rath Yatra 2022: बस्तर में भगवान जगन्नाथ का नेत्रोत्सव
netrotsav of Lord Jagannath celebrated in Bastar: बस्तर में जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर मनाए जाने वाले गोंचा पर्व की तैयारी जोरों से चल रही है. 1 जुलाई को रथयात्रा से पहले गुरुवा को भगवान जगन्नाथ का नेत्रोस्तव मनाया गया. इस रस्म के दौरान शहर के जगन्नाथ मंदिर में आरण्यक ब्राह्मण समाज के लोगों ने भगवान जगन्नाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना कर उनका श्रंगार किया. जगन्नाथ मंदिर के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि "प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ देव चंदनंजात्रा के दौरान अत्यधिक स्नान करने के कारण बीमार हो जाते हैं. जिससे भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं. इसी दौरान भगवान का जड़ी बूटी से उपचार चलता है. 15 दिनों बाद स्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देते है. भक्तों द्वारा भगवान का श्रृंगार कर विशेष पूजा अर्चना किया जाता है. जिसे नेत्रोत्सव कहा जाता है. इसके अगले दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा रथ में सवार होकर नगर भ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर जनकपुरी पंहुचते है. नेत्रोस्तव के दूसरे दिन विशाल रथ यात्रा निकलती है". Rath Yatra 2022
netrotsav of Lord Jagannath celebrated in Bastar: बस्तर में जगन्नाथ पुरी की तर्ज पर मनाए जाने वाले गोंचा पर्व की तैयारी जोरों से चल रही है. 1 जुलाई को रथयात्रा से पहले गुरुवा को भगवान जगन्नाथ का नेत्रोस्तव मनाया गया. इस रस्म के दौरान शहर के जगन्नाथ मंदिर में आरण्यक ब्राह्मण समाज के लोगों ने भगवान जगन्नाथ की विधि विधान से पूजा अर्चना कर उनका श्रंगार किया. जगन्नाथ मंदिर के अध्यक्ष ईश्वर खंबारी ने बताया कि "प्राचीन मान्यता के अनुसार भगवान जगन्नाथ देव चंदनंजात्रा के दौरान अत्यधिक स्नान करने के कारण बीमार हो जाते हैं. जिससे भक्तों को दर्शन नहीं देते हैं. इसी दौरान भगवान का जड़ी बूटी से उपचार चलता है. 15 दिनों बाद स्वस्थ होने के बाद भगवान जगन्नाथ भक्तों को दर्शन देते है. भक्तों द्वारा भगवान का श्रृंगार कर विशेष पूजा अर्चना किया जाता है. जिसे नेत्रोत्सव कहा जाता है. इसके अगले दिन भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा रथ में सवार होकर नगर भ्रमण करते हुए अपने मौसी के घर जनकपुरी पंहुचते है. नेत्रोस्तव के दूसरे दिन विशाल रथ यात्रा निकलती है". Rath Yatra 2022