कांकेर : छत्तीसगढ़ को बने आज 22 साल का वक्त होने को है. इतने सालों में कई सरकारें आई और गईं. लेकिन कांकेर जिले के एक गांव की किस्मत किसी भी सरकार ने नहीं बदली. चाहे कांग्रेस हो या बीजेपी कांकेर में दोनों ही पार्टियों से विधायक और सांसद रहे हैं. लेकिन इसका फायदा आज तक कुछ गांवों को नहीं मिल पाया है. आज भी गांव में शाम ढलते ही घुप अंधेरा छा जाता है. आज हम आपको ऐसे ही गांवों की तस्वीर बताएंगे, जहां विकास की बात सिर्फ कागजों पर होती है. इस गांव के लोगों को बिजली के बारे में तो पता है लेकिन बिजली का बल्ब जलता कैसे है शायद नहीं मालूम.
75 साल से कांकेर के कई गांव अंधेरे में डूबे गांव में नहीं आई बिजली रानी : पखांजूर इलाके के कई गांव में बिजली नहीं है. यह गांव आजादी के बाद आज भी अंधेरे में डूबे हैं. ग्राम पंचायत कंदाड़ी का आश्रित गांव हिदुर और कलपर में प्रशासन ने बिजली का खंभा और तार तो खींच दिए लेकिन तारों में करंट देना भूल गए. गांव में आज तक बिजली नहीं (Many villages of Kanker submerged in darkness ) पहुंची है. दोनों गांवों में लगभग 50 से अधिक घर और सैकड़ों ग्रामीण निवासरत हैं. वहीं ग्राम पंचायत मेंड्रा का आश्रित गांव उरपांजुर और नदिचुआ में बिजली विभाग ने सर्वे के बाद भी बिजली नहीं पहुंचाई. दोनों ही गांवों में घरों की संख्या 50 से अधिक है.
पहाड़ियों से घिरे हैं गांव :ये सभी गांव चारों ओर पहाड़ों से घिरे हैं. गांवों में विकास की योजनाएं पहुंचाने के वादे किए जाते हैं. लेकिन योजनाएं इस अंतिम छोर तक पहुंचने से पहले ही दम तोड़ देती हैं. दावों की हकीकत ये है कि गांव में आजादी के बाद से आज तक बिजली की सूरत नहीं देखी. ग्रामीणों के मुताबिक बिजली नहीं होने से रात डर के साए में गुजरती है. जंगली जानवरों का खतरा बना रहता है. वहीं बच्चे रात में पढ़ाई नहीं कर पाते. यदि सरकारी सुविधाओं की बात करें तो इस गांव में कुछ भी नहीं है. आंगनबाड़ी, बिजली और पीडीएस तो इस गांव के लिए सपने (Lack of infrastructure in Kanker) जैसा है.
ये भी पढ़ें-न सड़क है, न पीने को पानी, बिजली भी पहुंची फिर भी लानटेन युग में जी रहा गांव
पखांजूर में लालटेन युग :गांव में बिजली नहीं होने से ग्रामीण अपने सारे दैनिक काम दिन में ही करते हैं. कुछ बच्चे हैं जो रात में दीया जलाकर अपना भविष्य किताबों में तलाशते हैं. लेकिन दीये की रौशनी कब तक इनका भविष्य बनाएगी ये कोई नहीं जानता. ग्रामीणों के पास चुनाव के वक्त नेता तो आते हैं लेकिन हर बार वादा करके भूल जाते हैं. अब इनकी सरकार से यही गुजारिश है कि कम से कम गांव में बिजली तो आए ताकि बच्चों का भविष्य खराब ना हो.