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अभिषेक मिश्रा हत्याकांड: किम्सी जैन बरी, पति विकास और चाचा अजीत सिंह को उम्रकैद

बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड (Abhishek Mishra murder case) में जिला न्यायालय ने फैसला सुनाते हुए किम्सी जैन की बरी कर दिया है. किम्सी के पति विकास जैन और चाचा अजीत सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.

Abhishek Mishra murder case verdict
अभिषेक मिश्रा हत्याकांड

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Published : May 10, 2021, 12:42 PM IST

Updated : May 10, 2021, 2:31 PM IST

दुर्ग:छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित अभिषेक मिश्रा हत्याकांड में जिला न्यायालय ने फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने किम्सी जैन को बरी कर दिया है. किम्सी के पति विकास जैन और चाचा अजीत सिंह को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है. कोर्ट ने दोनों पर 15 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है.

अभिषेक मिश्रा हत्याकांड का फैसला

एक नजर में घटनाक्रम-

नवंबर की गुलाबी सर्दी में भिलाई के शंकराचार्य इंजीनियरिंग कॉलेज के चेयरमैन आईपी मिश्रा के इकलौते बेटे अभिषेक मिश्रा के अपहरण की बात जंगल में आग की तरह फैलती है. 9 नवंबर 2015 को अभिषेक अपने घर से किसी काम से निकलता है, लेकिन काफी देर तक वापस नहीं आता. घरवालों को चिंता होती है. कई जगह पता लगाने के लिए कॉल भी किया जाता है.

किम्सी जैन का वकील

संबंध की जिद ने ली थी अभिषेक की जान ! प्रेमिका ने लाश दफनाकर ऊपर उगा दी थी गोभी

परिजन बेचैन, पुलिस परेशान

जब 10 नवंबर को भी अभिषेक नहीं लौटता, तो इसकी सूचना पुलिस को दी जाती है. हाईप्रोफाइल फैमिली से जुड़े इस मामले को लेकर दुर्ग-भिलाई पुलिस के अलावा आसपास के सभी जिलों में पुलिस को अलर्ट कर दिया जाता है. पुलिस की दर्जनभर टीम अभिषेक की तलाश में कई राज्यों का दौरा करती है. माना जा रहा था कि कहीं ये अपहरण के बाद वसूली का मामला तो नहीं, लेकिन समय बीतता गया और अभिषेक के परिजनों के पास किसी तरह के डिमांड वाला कॉल नहीं आया. पुलिस भी लगातार कॉल डिटेल से लेकर हर इनपुट पर काम कर रही थी, लेकिन कुछ ठोस हाथ नहीं लग रहा था.

पुख्ता सबूत के लिए भटकती रही पुलिस

धीरे-धीरे एक हफ्ता, दो हफ्ता गुजरा. परिजनों का धैर्य भी जवाब देने लगा. सभी किसी अनहोनी की आशंका में डूबने लगे. पुलिस जब व्यापार, फिरौती, रंजिश तमाम एंगल से तफ्तीश कर चुकी और कामयाबी नहीं मिली, तब उसने अभिषेक के निजी जीवन के कुछ पन्ने पलटने शुरू किए. मोबाइल कॉल डिटेल खंगालने पर कुछ क्लू तो हाथ लगे, लेकिन कोई पुख्ता सबूत हाथ नहीं लग रहा था.

44 दिन बाद मिली थी अभिषेक की लाश

आखिरकार वारदात के 44 दिन बाद पुलिस ने विकास और अजीत नाम के दो शख्स को संदेह के आधार पर हिरासत में लिया. लंबी पूछताछ में दोनों ने अभिषेक की हत्या करने की बात कबूल कर ली. अगले दिन स्मृति नगर स्थित एक मकान के गार्डन से अभिषेक की लाश बरामद कर ली जाती है.

घर में दफना दिया था शव

हत्यारों ने अभिषेक की हत्या करने के बाद उसे स्मृति नगर के घर के गार्डन में दफना दिया था. इस वारदात को इतने शातिराना अंदाज में अंजाम दिया गया था कि लोगों को ये किसी फिल्म की पटकथा जैसी लग रही थी. अभिषेक की हत्या के पहले ही जिस जगह पर गढ्ढे खोदे गए थे, उसे दफनाने के बाद उसके ऊपर फूल गोभी के पौधे रोप दिए गए, जिससे किसी को शक ना हो. लेकिन लगातार कॉल डिटेल और कुछ पुराने प्रसंगों को जोड़कर पुलिस ने जांच की सुई इस ओर घुमाई और इस बेहद चर्चित कांड से पर्दा उठ सका.

5 साल बाद मिला इंसाफ

शंकराचार्य ग्रुप ऑफ कॉलेज के डायरेक्टर अभिषेक मिश्रा के मर्डर की गुत्थी 9 नवंबर से 44 दिनों के बाद दिसंबर 2015 को खुली. इसके बाद किम्सी जैन, उसके पति विकास जैन और ससुर अजीत को गिरफ्तार कर लिया गया. आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद लगातार इस मामले की जांच की गई और जांच पूरी होने के बाद इसे दुर्ग न्यायालय में प्रस्तुत किया गया. करीब 5 साल तक यह मामला दुर्ग जिला न्यायालय में चल रहा था.

Last Updated : May 10, 2021, 2:31 PM IST

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