धमतरीः कला और प्रतिभा (Art) छुपाई नहीं जा सकती, इससे सब वाकिफ हैं और देश में कलाकारों (artists) की कमी भी नहीं है. कुछ कलाकार की कारीगरी (workmanship) आसमान छू जाती है. नाम रोशन कर जाती है. बस मेहनतऔर जज्बे के साथ धैर्य (patience with passion) भी होना जरूरी है.
धमतरी आईटीआई कॉलेज में कबाड़ का जुगाड़ यहां हम बात कर रहे है कबाड़ से जुगाड़ (Best out of junk) की. जो आईटीआई कॉलेज (ITI College) में पढ़ने वाले विद्यार्थियों ने कर दिखाया है. अपने लगन और मेहनत से उन्होंने आकर्षक वन्य प्राणियों के ढांचे (wild animal structures) तैयार किए हैं. जो आकर्षण का केंद्र बना हुआ है.
इन विद्यार्थियों ने अपशिष्ट लोहा और वेस्ट मटेरियल (waste iron and waste material) से वन भैंसा और बारहसिंघा तैयार किया है. दरअसल, धमतरी जिले से महज 7 किलोमीटर दूर स्थित भटगांव के शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आईटीआई) कॉलेज के प्रशिक्षणार्थियों ने गजब कर दिखाया है. इन्होंने कबाड़ से जुगाड़ कर वन्य प्राणियों का ढांचा तैयार किया है. इसमें बारहसिंघा और वन भैंसा तैयार किया गया है. जिसे देख कर लोग तारीफ करते नहीं थक रहे हैं.
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वेस्ट मैटेरियल से बारहसिंघा और वन भैंसा का निर्माण
बताया गया कि फिटर ट्रेड (fitter trade) 2019 से 21 प्रशिक्षणार्थियों (Trainees) ने कबाड़ से जुगाड़ कर ऐसी कलाकारी दिखाई है. शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था धमतरी में पढ़ने वाले तेजेश्वर निषाद और बारिश मिंज और उनके साथियों ने माइल्ड स्टील (mild steel) के बचे हुए स्क्रैप से बारहसिंघा और वन भैंसा (reindeer and forest buffalo) तैयार किया है. जिसे कॉलेज परिसर के गार्डन में सौंदर्य (beauty in the garden) के लिए सजाया गया है. विद्यार्थियों के दिमाग एवं कारीगरी से बनाया गया यह कबाड़ से जुगाड़ वाकई तारीफ-ए-काबिल है.
अब सिर्फ हौसला और प्रोत्साहन की जरूरत
आईटीआई कॉलेज (ITI College) के अधीक्षक (superintendent) एमआर ध्रुव ने बताया कि शासन की ओर से स्क्रैप गार्डनिंग (scrap gardening) के लिए कॉन्सेप्ट (Concept) आया हुआ था जिसके तहत वेस्ट मैटेरियल (waste material) और कबाड़ से जुगाड़ कर वन्य प्राणियों में बारहसिंघा और वन भैंसा तैयार किया गया. इसे कॉलेज परिसर के गार्डन में रखा गया है. तेजेश्वर निषाद होनहार छात्र है, जिसे उन्होंने अपने मेहनत और लगन से तैयार किया है. इधर, तेजेश्वर निषाद के पिता ने अपने पुत्र के इस कलाकारी को लेकर काफी खुश हैं. उन्होंने अन्य बच्चों को ऐसे ही प्रेरणा लेने के लिए प्रोत्साहित किया है. बहरहाल, शासन-प्रशासन (Government administration) ऐसे कलाकारों को प्रोत्साहित अगर करती है तो देश-प्रदेश में जिले का नाम रोशन करने से इन जैसे कलाकारों को कोई नहीं रोक सकता, बस इन्हें हौसला और प्रोत्साहित (encouraged) करने की जरूरत है.