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बिलासपुर यूनिवर्सिटी से बारह कॉलेजों ने नहीं ली संबद्धता, पंद्रह सौ परीक्षार्थियों का अधर में भविष्य

बिलासपुर यूनिवर्सिटी से पढ़ाई करने वाले 15 सौ परीक्षार्थियों का प्रवेश पत्र रोक दिया (admit card of fifteen hundred candidates was stopped in Bilaspur) गया है. जिसमे 12 कॉलेजों की लापरवाही सामने आई है.

Twelve colleges did not take affiliation in Bilaspur

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Published : Apr 20, 2022, 6:34 PM IST

बिलासपुर: अटल बिहारी वाजपेयी यूनिवर्सिटी (Bilaspur Atal Bihari Vajpayee University) ने मुख्य परीक्षा से पहले 12 कॉलेजों के लगभग 15 सौ परीक्षार्थियों के प्रवेश पत्र रोक दिए हैं. इन कॉलेजों की संबद्धता पूरी नहीं हुई है. बिना संबद्धता ही छात्र-छात्राओं से ऑनलाइन परीक्षा फॉर्म भरा लिए गए और अब ठीक परीक्षा के पहले यह पेंच फंस गया है. परीक्षार्थी इसके कारण अब असमंजस में हैं. यूनिवर्सिटी हर साल संबद्ध कॉलेजों को पत्र जारी कर समय पर संबद्धता की कार्यवाही पूरा करने कहता है. प्रथम वर्ष, द्वितीय वर्ष और तृतीय वर्ष तीनों वर्षों की संबद्धता कॉलेजों को यूनिवर्सिटी से लेनी होती है. इसके बाद भी कॉलेज प्रबंधन समय पर संबद्धता नहीं लेते हैं. जिसका खामियाजा अब परीक्षार्थियों को भुगतना पड़ता है.

कहां का है मामला :जिन परीक्षार्थियों के प्रवेश पत्र रोके (Twelve colleges did not take affiliation in Bilaspur) गए हैं, उनमें रानी दुर्गावती कॉलेज मरवाही, गवर्नमेंट कॉलेज कोतरी, सीएमडी कॉलेज, डीपी शिक्षा कॉलेज, डीपी कॉलेज, एसएस कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन, सारबहरा पेंड्रारोड, आरडीएस कॉलेज उमरिया, सोनकर कॉलेज मुंगेली, कॉलेज ऑफ़ एजुकेशन मेडुका पेंड्रारोड, गवर्नमेंट कॉलेज दीपका, कंप्यूटर कॉलेज कोरबा, सरदार भगत सिंह कॉलेज बेलगहना के परीक्षार्थी शामिल है. जबकि अगले सप्ताह मुख्य परीक्षाएं शुरू होने वाली है. ऐसे में परीक्षार्थी अब असमंजस में हैं.

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यूनिवर्सिटी का अपना तर्क : इधर यूनिवर्सिटी प्रबंधन का कहना है, कॉलेजों के संबद्धता के कारण प्रवेश पत्र रोके गए हैं. छात्रों का भविष्य खराब ना हो इसे लेकर प्रबंधन चर्चा कर रहा है. कॉलेजों की संबद्धता भी प्रक्रियाधीन है, ऐसे में जल्द इस पर निर्णय कर छात्रों को राहत दिया जाएगा. इस मामले में अटल बिहारी वाजपेयी के कुलपति प्रो. एडीएन बाजपेई ने कहा कि अक्सर एक क्लास में परीक्षा पास कर दूसरे क्लास की पढ़ाई शुरू कराई जाती है और संबद्धता के लिए शासन स्तर से कवायद शुरू किया जाता है. फिर बाद में आवेदन किया जाता है. हो सकता है कि किसी कारणवश महाविद्यालयों ने आवेदन नही किया होगा. यदि छात्रों के भविष्य की बात है तो उनका साल खराब नही होने देंगे. शासन स्तर पर बात चल रही है. जैसे ही पॉजिटिव जवाब मिलेगा. स्टूडेंट्स की परीक्षा ली जाएगी.

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