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बर्खास्त असिस्टेंट प्रोफेसर को हाई कोर्ट से राहत, सेवा में वापस लेने और पिछला भुगतान के निर्देश - अनुशासनहीनता का आरोप

परीक्षा में बाधा पहुंचाने का आरोप में बिलासपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय (Bilaspur Central University) के बर्खास्त असिस्टेंट प्रोफेसर (dismissed assistant professor) को हाईकोर्ट से राहत मिली है. हाईकोर्ट ने बर्खास्त असिस्टेंट प्रोफेसर को सेवा में वापस लेने का आदेश जारी किया. साथ ही पिछला भुगतान के निर्देश दिया है.

Relief from High Court to dismissed assistant professor
Relief from High Court to dismissed assistant professor

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Published : Nov 30, 2021, 9:41 PM IST

बिलासपुरः परीक्षा में बाधा पहुंचाने का आरोप में बिलासपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के बर्खास्त असिस्टेंट प्रोफेसर को हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है. हाईकोर्ट ने बर्खास्त असिस्टेंट प्रोफेसर (dismissed assistant professor) को सेवा में वापस लेने का आदेश जारी किया. साथ ही पिछले देयकों का भुगतान करने के निर्देश भी हाईकोर्ट ने दिया है.

गुरु घासीदास सेंट्रल यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी ने विवि के असिस्टेंट प्रोफेसर को परीक्षा में बाधा पहुंचाने के आरोप में बर्खास्त कर दिया था. मामले में सुनवाई के बाद हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को सेवा में वापस लेने और सारे लम्बित देयकों का भुगतान करने के निर्देश विवि प्रशासन को दिए हैं. अदालत ने कहा कि आप केवल अधिकतम एक इन्क्रीमेंट रोक सकते हैं.

2010 का है मामला

डॉ.आशीष रस्तोगी गुरुघासीदास केन्द्रीय विवि में आईटी व कम्प्यूटर साइंस विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर पदस्थ थे. वर्ष 2010 में परीक्षा के दौरान कुछ हंगामा होने पर वे विभागाध्यक्ष की अनुमति से कंट्रोल रूम में पता करने गए तो एक छात्र को अनुचित साधनों का इस्तेमाल करते के पकड़ने की बात सामने आई. छात्र ने कहा कि मेरा प्रकरण जबरन बनाया जा रहा है. इसी बात पर छात्र से बहस हुई.

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अनुशासनहीनता का लगा था आरोप

मामले में तत्कालीन कुलपति लक्ष्मण चतुर्वेदी ने डा. रस्तोगी पर परीक्षा में बाधा डालने व अनुशासनहीनता का आरोप (allegation of indiscipline) लगाते चार्जशीट जारी कर दी. इसके जवाब में उन्होंने बताया कि वह केवल विभागाध्यक्ष की अनुमति से यह पता करने गए थे कि क्या मामला है? परीक्षा में किसी प्रकार की बाधा नहीं डाली है. इसके बाद भी कुलपति ने अपने अधीनस्थ अधिकारी से जांच करवाने के बाद इन्हें दो साल बाद 2012 में सेवा से बर्खास्त कर दिया. इस कार्रवाई के खिलाफ असिस्टेंट प्रोफेसर ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी.

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