बिलासपुर:जेरेनियम की खेती छत्तीसगढ़ में पहली बार (Geranium cultivation for the first time in Chhattisgarh) की जा रही है. बिलासपुर के जयराम नगर के किसान लोकेश पटाडे इसकी उन्नत खेती कर रहे हैं. जेरेनियम एक तरह से सुगंधित गाजर घास होता है. लेमन ग्रास, पचोली सुगंधित गाजर घास होते हैं. ठीक उसी तरह जेरेनियम भी सुगंधित पौधा होता है. इसकी पत्तियों को प्रोसेस कर तेल निकाला जाता है. यह तेल काफी महंगा होता है. जेरेनियम के तेल का उपयोग कॉस्मेटिक्स बनाने में होता है. खास बात यह है कि जेरेनियम के पौधे को कोई भी जानवर, पक्षी नहीं खाता है.
बिलासपुर में जेरेनियम की खेती से मुनाफा :किसान लोकेश पटाडे ने बताया कि जेरेनियम की एक बार बुवाई करने के बाद लगभग 4 साल तक इसमें पत्ते आते हैं. हर साल 4 बार इसकी कटाई की जा सकती है. जेरेनियम के पौधे को 1 एकड़ में लगाने और सिंचाई करने में करीब 80 हजार रुपए खर्च आता है. इसकी हर 3 महीने में कटाई करने पर लगभग 15-16 टन पत्तियां निकलती है. इसकी पत्तियों को प्रोसेस करने के बाद करीब पंद्रह-सोलह लीटर जेरेनियम का तेल मिल जाता है. पूरे साल में 50-60 लीटर तेल मिलता है. बाजार में 1 लीटर तेल की कीमत साढ़े ग्यारह हजार रुपए है. यानी 60 लीटर तेल बाजार में करीब 7 लाख रुपए में (Geranium oil is sold in lakhs) बिकता है.
कैसे करें खेती :जेरेनियम की खेती के लिए जैविक या रासायनिक खाद का संतुलित उपयोग किया जाता है. जिस जमीन में पानी का भराव ना हो, वह जमीन जेरेनियम की खेती करने योग्य है. बारिश के मौसम में बारिश का पानी ज्यादा दिन तक खेत में इकट्ठा नहीं होना चाहिए. जेरेनियम के पौधों को खेत में डेढ़ से दो फीट के फासले पर रोपते हैं. जेरेनियम को सिंचाई की कम जरूरत पड़ती है. इसकी खेती के लिए नवबंर से जून का समय सबसे बेहतर माना जाता है.