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दीपावली में धान के बाली की होती है पूजा, लक्ष्मी का रूप मानने की छत्तीसगढ़ में है परंपरा - customs in the state

छत्तीसगढ़ को धान (Rice) का कटोरा कहा जाता है और लक्ष्मी का रूप मानकर दीवाली में इसकी पूजा करने की प्रदेश में परंपरा (tradition in the state) है. धान काटने के बाद उसे बेचा जाता है और इससे धन की प्राप्ति होती है.

दीपावली में धान के बाली की होती है पूजा
दीपावली में धान के बाली की होती है पूजा

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Published : Nov 3, 2021, 7:06 PM IST

Updated : Nov 3, 2021, 8:14 PM IST

बिलासपुरः छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा कहा जाता है और लक्ष्मी का रूप (form of lakshmi) मानकर दीवाली में इसकी पूजा करने की प्रदेश में परंपरा (tradition in the state) है. धान काटने के बाद उसे बेचा जाता है और इससे धन की प्राप्ति होती है. फिर दिवाली का पर्व (festival of diwali) मनाया जाता है. यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में दिवाली में लक्ष्मी पूजा (Lakshmi Puja in Diwali) के साथ धान की बालियां रख पूजा की जाती है.

दीपावली में धान के बाली की होती है पूजा


दीपावली पर घर के मुख्य द्वार को सजाने के लिए अनेक सजावटी सामान के बीच छत्तीसगढ़ के धान की बाली से बनी झालर भी इस समय बाजार में बिक रही है और इसे खूब पसंद भी की जा रही है. पूजा में धान का महत्व होने के चलते इसे लोग पूजन सामग्री के साथ खरीद रहे हैं. कई लोग अपने घर के मुख्य द्वार को सजाने के लिए भी धान की बाली की झालर खरीद रहे हैं.


बिलासपुर में धान की बालियों से बनी झूमर बाजार में सज कर तैयार है. शहर के गोलबाजार और देवकीनंद चौक में धान की झालर बेची जा रही है. धनतेरस और दीपावली पर धान की झालर लगाने से घर हमेशा धनधान्य से भरे रहने की मान्यता है. मां लक्ष्मी की पूजा में फल, मिठाई के साथ धान रखना शुभदायी माना जाता है. गांव-गांव में पर्व विशेष पर हर घर में धान की बाली द्वार पर सजाने की परंपरा है.

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पक्षियों के लिए रखा जाता है धान

धान का कटोरा माने जाने वाले छत्तीसगढ़ के ग्रामीण इलाकों में दहलीज पर चिरई (चिड़िया) चुगने टांगने की परंपरा चली आ रही है. जब धान पककर तैयार हो जाता है तो धान काटने के बाद बालियों का झूमर बनाकर द्वार पर लगाया जाता है ताकि गौरैया, कबूतर, कोयल व अन्य पक्षी दाना चुग सकें. दीवाली में कई प्रकार के फलों के साथ ही चावल से बनाए जाने वाले लाई, बताशा (शक्कर पारा) और देशी फलों को लक्ष्मी पूजा में शामिल किया जाता है.

प्रदेश धान का कटोरा कहलाता है क्योंकि यहां का मुख्य फसल धान होता है और धान से ही यहा के लोगों को पैसा मिलता है. इस लिए धान की पूजा कर सदियों से चली आ रही है. परंपरा को निभाई जाती है. इसी लिए बाजार में धान से बनी बालियों की पूछपरख होती है.

Last Updated : Nov 3, 2021, 8:14 PM IST

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