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कोरिया में कोरोना काल के समय से बंद हैं पांच ट्रेनें, आंदोलन के बाद भी रेलवे को नहीं पड़ रहा फर्क

कोरिया जिले में कोरोना काल में बंद हुई ट्रेनें अब तक शुरु नहीं हो सकीं (Five trains are closed in Koriya since the time of Corona period,) हैं. कई बार इसे लेकर आंदोलन किया गया लेकिन रेलवे के आला अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ा है.

trains are closed in Koriya since the time of Corona period
कोरिया में कोरोना काल के समय से बंद हैं पांच ट्रेनें

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Published : Mar 29, 2022, 2:03 PM IST

Updated : Mar 29, 2022, 2:11 PM IST

कोरिया: जिले के चिरमिरी-मनेन्द्रगढ़ रेल सेक्शन की 5 ट्रेनें कोरोना काल के समय से बंद (Five trains are closed in Koriya since the time of Corona period) हैं. पिछले 2 साल से भी ज्यादा समय हो जाने के बाद भी इन ट्रेनों का संचालन फिर से शुरू नहीं हो सका है. जिसके कारण अब इन क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को आवाजाही में दिक्कत हो रही है. इस बात को लेकर स्थानीय स्तर पर कई आंदोलन भी हुए लेकिन रेलवे के कान में जूं तक नहीं रेंगी. स्थानीय विधायक ने भी ट्रेनों के परिचालन को लेकर रेलवे के आला अधिकारियों से पत्राचार किया है. लेकिन ना तो अधिकारियों का जवाब आया और ना ही जनता की बात सुनी गई (Railways is not making any difference even after agitation in Koriya ). अब सफर महंगा होने के कारण आम जनता की परेशानी बढ़ रही है.

कोरिया में कोरोना काल के समय से बंद हैं पांच ट्रेनें


चिरमिरी-मनेन्द्रगढ़ से निकलने वाली महत्वपूर्ण ट्रेन जिनका परिचालन दो साल से बंद है-

चिरमिरी-रीवा-चिरमिरी ट्रेन नंबर -51753/51754,
चिरमिरी चंदिया- चिरमिरी ट्रेन नंबर-58221/58222,
चिरमिरी - कटनी -चिरमिरी ट्रेन नंबर-51606/51605,
चिरमिरी - दुर्ग -चिरमिरी ट्रेन नंबर -28242/18241,
चिरमिरी-भोपाल ट्रेन नंबर- 58220/18235

स्थिति नियंत्रण में लेकिन ट्रेनें हैं बंद :कोरिया आदिवासी जिला है. यहां लोगों के पास आवागमन का साधन ट्रेन ही है. जिसमें कम पैसे से जनता अपने गंतव्य स्थान तक आ जा सकती है. ट्रेन को चालू कराने के लिए पूर्व में आंदोलन भी किया गया. क्षेत्र की सांसद ने भी ट्रेन चालू करने की मांग को लेकर केंद्रीय रेल मंत्री से मुलाकात की थी. वहीं क्षेत्र के विधायक डॉ. विनय जायसवाल ने कहा कि अब हम सब दिल्ली जाकर आंदोलन करेंगे. जिससे हमारे क्षेत्र की ट्रेनें पुनः चालू हों क्योंकि जनता के पास आने-जाने के अब साधन सीमित हो गए हैं. जिससे महंगाई के दौर में उनकी जेब पर बोझ बढ़ रहा है.

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बस का सफर भी महंगा :पेट्रोल और डीजल के बढ़ते दामों के बादबसों का सफर महंगा हो गया है. कई जगहों पर जहां बसें नहीं चलती, वहां प्राइवेट गाड़ियां ही एकमात्र साधन है. जिसमें पांच से लेकर दस हजार रुपए तक का खर्च आता है. मध्यम वर्ग इतना पैसा लगाकर सफर करने में असमर्थ है. लिहाजा इस आदिवासी क्षेत्र के लिए रेल ही सस्ता साधन है. लेकिन ट्रेनें बंद होने से जहां एक तरफ बस और प्राइवेट वाहन चालकों की चांदी है, वहीं दूसरी तरफ आम जनता की जेब हल्की हो रही है.

Last Updated : Mar 29, 2022, 2:11 PM IST

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