रायपुर:प्रदेश में भले ही संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं, लेकिन इस बीच दोबारा कोरोना संक्रमित होने के मामले कम ही आए हैं. मामले भले ही कम हों, लेकिन इसके असर को लेकर अध्ययन की तैयारी की जा रही है. एक्सपर्ट्स की मानें तो भले ही कोरोना का री-अटैक खतरनाक नहीं होता, लेकिन इससे कई तरह की मुसीबत हो सकती है.
छत्तीसगढ़ में कोरोना री अटैक के असर को लेकर होगा रिसर्च री-अटैक के 36 से ज्यादा मामले
प्रदेश में अब तक इस तरह के 36 से ज्यादा मामले सामने आए हैं. प्रदेश में कोरोना संक्रमण ने खासा जोर पकड़ा हुआ है. इस बीच ऐसे भी कुछ मामले सामने आ रहे हैं, जिसमें कोरोना संक्रमण से मुक्त होने के कुछ समय बाद दूसरी बार वे कोविड के शिकार हो रहे हैं. बीते दिनों महिला चिकित्सक और पुलिस विभाग के एक अफसर दोबारा जांच में संक्रमित पाए जा चुके हैं.
असर जानने के लिए अध्ययन की तैयारी
इसके आलावा कुछ समय पहले एयर फोर्स के कुछ कर्मचारियों की रिपोर्ट दोबारा पॉजिटिव आई थी. हालांकि जांच के दौरान शरीर में डेड वायरस होने का हवाला दिया गया और यह भी तर्क सामने आया कि संक्रमित मरीजों के दोबारा हावी होने के दौरान वायरस पावरफुल नहीं होता और दूसरे को इससे नुकसान नहीं होता है. प्रदेश में दोबारा पॉजिटिव होने के मामले काफी कम हैं, लेकिन इस तरह की शिकायतें बढ़ने से पहले री-अटैक का असर जानने के लिए अध्ययन की तैयारी की जा रही है. मेडिकल काॅलेज में ऐसे मामलों में दोबारा संक्रमण संबंधी जानकारी इकट्ठा की जा रही है.
एंटीबॉडी नहीं बनी या कमजोर ?
अध्ययन में इस बात पर प्रमुखता से देखा जाएगा कि जिन्हें दोबारा कोरोना हुआ, उनके अंदर एंटीबॉडी डेवलप नहीं हो पाई या फिर कमजोर थी, जिसकी वजह से कोरोना ने उन पर री-अटैक किया. हाल ही में केंद्र सरकार की टीम ने कुछ इसी तरह की जांच के लिए एंटीबॉडी सीरो सर्वे भी कराया था. इस मामले में जांच का विषय हो सकता है कि कोविड का वायरस कहीं अपना ट्रेंड तो नहीं बदल रहा?.