पश्चिम चंपारण (बगहा): माघ मौनी अमावस्या के मौके पर इंडो-नेपाल सीमा स्थित वाल्मीकिनगर के त्रिवेणी संगम पर श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जुट गई है. यहां नारायणी गंडक नदी के तट पर श्रद्धालु त्रिवेणी संगम में स्नान कर रहे हैं और दान पुण्य की परंपरा का निर्वहन कर रहे हैं. बता दें कि गण्डक नदी में सोनभद्र, ताम्रभद्र और नारायणी नदी मिलती है. लिहाजा प्रयागराज के बाद यह दूसरा बड़ा त्रिवेणी संगम है.
मेला में उमड़ी श्रद्धालुओं की भीड़
इंडो नेपाल सीमा स्थित गंडक नदी तट पर प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी मौनी अमावस्या माघ मेला में लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ पहुंची है. यहां श्रद्धालु अहले सुबह से त्रिवेणी संगम में आस्था की डुबकी लगा रहे हैं और गो दान और तिल समेत चावल और नगदी का दान कर रहे हैं ताकि मोक्ष की प्राप्ति हो सके. बता दें कि वाल्मीकि टाइगर रिजर्व अंतर्गत नारायणी नदी त्रिवेणी संगम में स्नान करने आने वाले भक्तों के आने का तांता तीन दिन पूर्व से ही लगा हुआ था.
त्रिवेणी संगम तट पर भक्त करते हैं स्नान
दरअसल, माघ मौनी अमावस्या तिथि के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. ऐसे में हिमालय के गर्भ से निकली गंडक नदी को नेपाल में शालिग्राम के नाम से जाना जाता है. क्योंकि गंडक नदी विश्व की एकमात्र ऐसी नदी है जिसके गर्भ में शालिग्राम पाया जाता है. ऐसे में श्रद्धालुओं का कहना है कि शालिग्राम नदी जिसको गंडक, सप्त गंडकी और सदानीरा के नाम से भी जाना जाता है. वहां स्नान दान का महत्व बढ़ जाता है. इस नदी में सोनभद्र, ताम्रभद्र और नारायणी का पवित्र मिलन होता है. यही वजह है कि इसे प्रयागराज के बाद देश का दूसरा त्रिवेणी संगम होने का गौरव प्राप्त है.