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छपरा में हर्षोल्लास के साथ मनाई गई मौलाना मजहरूल हक साहब की जयंती

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Published : Dec 22, 2020, 2:06 PM IST

छपरा में मौलाना मजहरूल हक साहब की जयंती हर्षोल्लास के साथ मनाई गई. मौलाना मजहरूल हक छपरा व्यवहार न्यायालय में काफी समय तक वकालत की थी. साथ ही वे छपरा जिला परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे थे.

Mazharul Haq saheb birth anniversary
Mazharul Haq saheb birth anniversary

छपरा:जिले में महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मौलाना मजहरूल हक साहब की जयंती हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाई गई. आज मुख्य कार्यक्रम मौलाना मजहरूल हक चौक पर किया गया. जहां मौलाना मजहरूल हक साहब की प्रतिमा पर सारण के डीआईजी विजय कुमार वर्मा और सारण के डीएम सुब्रत कुमार सेन सहित कई गणमान्य लोगों ने मौलाना साहब की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया.

कई कार्यक्रमों का आयोजन
इस अवसर पर कई कार्यक्रमों का भी आयोजन किया गया. मौलाना मजहरूल हक साहब की जयंती के अवसर पर प्रत्येक वर्ष एक मुशायरा कार्यक्रम का आयोजन किया जाता था. जो इस वर्ष कोविड-19 के कारण नहीं किया गया है. वहीं आज मौलाना मजहरूल हक की 154वीं जयंती है.

देखें पूरी रिपोर्ट

इंग्लैंड से की थी बैरिस्टर की पढ़ाई
मौलाना मजहरूल हक साहब वैसे तो पटना के रहने वाले थे. लेकिन उनका अधिकांश समय छपरा में ही बीता था. उन्हें छपरा नगर पालिका का पहला चेयरमैन बनाया गया था. इसके पहले चेयरमैन के पद पर छपरा के कलेक्टर हुआ करते थे. वही वे छपरा जिला परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे हैं. इसके साथ ही उन्होंने छपरा व्यवहार न्यायालय में काफी समय तक वकालत भी की है. मौलाना मजहरूल हक साहब गांधी जी के समकालीन थे और उन्होंने गांधीजी के साथ ही बैरिस्टर की पढ़ाई इंग्लैंड से की थी.

जानकारी देते डीएम

घर में खोला स्कूल
वह कोलकाता में मुंसिफ के पद पर कार्य कर रहे थे. लेकिन उनका मन वहां नहीं लगा और उन्होंने छपरा में आकर वकालत की. उसके बाद ही वे स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में कूद पड़े. उन्होंने अपने बरहमपुर पटना स्थित घर में बच्चों की शिक्षा के लिए स्कूल खोल दिया और वर्तमान में कांग्रेस मुख्यालय पटना जो सदाकत आश्रम है, वह मौलाना मजहरूल हक साहब की ही जमीन पर बना हुआ है.

कांग्रेस मुख्यालय के लिए दान
मौलाना मजहरूल हक ने ही उसे कांग्रेस मुख्यालय के लिए दान में दिया था. इस प्रकार मौलाना मजहरूल हक ने जिस अखंड भारत की कल्पना की थी, उनका यह सपना तो नहीं साकार हो सका. लेकिन उन्होंने समाज में फैली हुई बुराइयों और कुरीतियों को दूर करने के लिए काफी प्रयास किया और उसमें वह काफी सफल भी रहे. डीएम ने कहा कि मौलाना मजहरूल हक साहब का भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में अद्वितीय योगदान रहा है.

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