बिहार

bihar

By

Published : Sep 26, 2019, 10:30 AM IST

ETV Bharat / state

यहां विफल हो रही हैं सरकारी योजनाएं, बदहाल स्थिति में है श्री सारण पिंजरापोल गौशाला

सारण में गौशाला की स्थिति बदहाल है. यहां पशुओं के रहने की भी व्यवस्था नहीं है. पशुओं के रहने के लिए शेड का निर्माण बीच में ही रुका हुआ है. मजबूरन पशुओं को चिलचिलाती धूप में ही रहना पड़ता है.

बदहाल स्थिति में है श्री सारण पिंजरापोल गौशाला

सारण: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गौशाला को बेहतर बनाने के लिए न जाने कितनी योजनाओं को लागू कर चुके हैं, लेकिन जिला प्रशासन की लापरवाही और उदासीनता के कारण श्री सारण पिंजरापोल गौशाला की स्थिति दिनों-दिन बद से बदतर होती जा रही है. विभिन्न सरकारी योजनाओं के तहत लाखों रूपये खर्च होने के बावजूद भी यहां की स्थिति में कोई सुधार नहीं है. बल्कि समय के साथ इसकी स्थिति और जर्जर हो गई है.

इस बदहाल गौशाला का विकास करने और दुधारू, वृद्ध, असहाय गायों की रक्षा के उद्देश्य से इस गौशाला का निर्माण कराया गया था. गौशाला में देसी नस्ल की दुधारू गायों की खरीद और जैविक खाद, बायोगैस के उत्पादन के अलावा मवेशियों के चारे के रख-रखाव के लिए गोदाम शेड, जलापूर्ति आदि की व्यवस्था की गई थी. जिसके लिए बीते दो साल पहले लगभग 20 लाख रुपये का आवंटन हुआ था, लेकिन आज तक इसकी स्थिति में कोई सुधार नहीं आ पाया है.

बदहाल स्थिति में है श्री सारण पिंजरापोल गौशाला

चिलचिलाती धूप में रहते है पशु
दुधारू पशुओं के लिए न तो रहने के लिए शेड का निर्माण कराया गया है. न ही जैविक खाद बायोगैस के लिए कोई प्लांट का निर्माण हुआ है. पशुओं के रहने के लिए शेड का निर्माण बीच में ही रुका हुआ है. मजबूरन पशुओं को चिलचिलाती धूप में ही रहना पड़ता है. जबकि गौशाला कमेटी के पदेन अध्यक्ष सह एसडीओ और सचिव ने इसके निर्माण कराए जाने की बात दो साल पहले ही कही थी, लेकिन सरकार की योजनाओं और निर्देश का इनपर कोई असर नहीं हुआ. पशुपालन विभाग ने दो साल पहले ही 20 लाख रुपये गौशाला को उपलब्ध करा दिया था. इसके तहत पांच लाख रुपये के देसी नस्ल की दुधारू गायों की खरीदारी के लिए जैविक खाद और बायोगैस प्लांट बनाया जाना था. जिसके लिए कृषि विभाग के सहयोग से शहर के पास करिंगा स्थित इस गौशाला के बुनियादी ढांचे के विकास पर यह राशि खर्च होनी थी.

खुले में रहते मवेशी

1908 में हुई थी गौशाला की स्थापना
बता दें कि, छपरा शहर में साल 1908 में रतनपुरा मोहल्ले में स्व हरि प्रसाद ने गौशाला की स्थापना की थी. जिले का यह एक मात्र पंजीकृत गोशाला है. बाद में मारवाड़ी समाज के अन्य गौशाला संचालकों और गोपालगंज के मांझा स्टेट की तरफ से करिंगा गांव में 18 बीघा जमीन दी गई थी. जहां सैकड़ों की संख्या में गोवंश के रहने के लिए शेड, खाने के लिए नाद, पानी के लिए कुआं, चिकित्सालय, चारे के लिए जमीन उपलब्ध कराई गई थी. यही नहीं बाद में स्व. बहुरिया फुलपति कुंवर ने भी 6 बीघा जमीन दिलिया रहिमपुर में, पांच बीघा जमीन गड़खा के साधपुर में रजिस्ट्री कर दान कर दी थी. लेकिन अफसोस इस बात का है कि इस पंजीकृत गौशाला की जमीन पर कुछ लोगों ने अवैध कब्जा जमा लिया है.

जर्जर स्थिति में गौशाला

गौशाला में होता है अष्टमी तिथि मेला का आयोजन
बदली परिस्थितियों में वृद्ध, अपाहिज, दुधारू गायों और सांड़ की संख्या लगभग ढाई दर्जन है. अब लोग वृद्ध गायों को गौशाला में देने के बदले आर्थिक लाभ के लिए बेच देते हैं. इस गौशाला में हर साल गोपाष्टमी मेला समिति की ओर से कार्तिक महीने में अष्टमी तिथि मेला का आयोजन किया जाता है. वहीं राज्य और राज्य से बाहर के पहलवानों के बीच दंगल का भी आयोजन किया जाता है. हालांकि अभी परिसर में एक शेड का निर्माण शुरू किया गया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details