समस्तीपुर: जिला मुख्यालय से करीब 20 किलोमीटर के दूरी पर गंगा-जमुनी तहजीब की अनूठी मिसाल देखने को मिलती है. दरअसल, मोरवा प्रखंड में बने बाबा खुदनेश्वर धाम का विशाल मंदिर आज हिंदू-मुस्लिम एकता का पर्याय माना जा रहा है. यह मंदिर अन्य मंदिरों से काफी अलग है.
खुदनेश्वर धाम में एक ही छत के नीचे शिवलिंग और मजार दोनों पूजे जाते हैं. इस कारण इस मंदिर का अपना महत्व और लोकप्रियता है. सावन के महीने में यहां रोजाना सैकड़ों की संख्या में भक्त और श्रद्धालु आते हैं. यहां फरियाद लेकर आने वाले हर भक्त शिवलिंग और मजार दोनों में माथा टेकता है.
कैसे हुआ निर्माण?
चर्चित मान्यताओं के अनुसार 13वीं शताब्दी में इस मंदिर की स्थापना हुई थी. हिन्दू-मुस्लिम आबादी वाले इस क्षेत्र में यहां की बाशिंदा रही खुदनी बीबी इन स्थान पर रोजाना गाय चराने आया करती थी. उनकी गाय प्रतिदिन एक खास स्थान पर खुद ब खुद दूध दे दिया करती थी. एक दिन जब खुदनी बीबी ने इस रहस्य को देखा तो भगवान भोलेनाथ ने उसे साक्षात दर्शन दिए. प्रचलित मान्यताओं के अनुसार खुदनी बीबी को इस रहस्य को उजागर नहीं करने का हिदायत मिली थी. लेकिन, खुदनी बीबी ने सच्चाई बता दी. इस खुलासे के चंद मिनट बाद ही उसकी मौत हो गयी.