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Published : Feb 26, 2023, 4:57 PM IST

Updated : Feb 26, 2023, 5:04 PM IST

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Kisan Samagam: अंग्रेजी बोलने पर CM से डांट खाने वाले किसान, जानिए कौन हैं अमित कुमार

किसान समागम में जहां सिर्फ खेती-किसानी से जुड़े लोग जमा हो, वहां एक किसान आखिर क्या बताना चाह रहा था, जिस कारण उसे अंग्रेजी में बोलना पड़ा. ऐसे में सीएम नीतीश कुमार ने भी उसे अंग्रेजी में बोलने से रोका और हिंदी बोलने की नसीहत दी. इसके बाद से वह किसान वायरल (Viral farmer Amit kumar) हो रहा है. अब यह जानना दिलचस्प होगा कि सीएम ने जिस किसान को नसीहत दी वह कौन है और वह किन परिस्थितियों मेंं क्यों अंग्रेजी में बोल रहा था. पढ़ें पूरी खबर..

वायरल किसान अमित सिंह
वायरल किसान अमित सिंह

पटनाः बिहार की राजधानी पटना में कुछ दिनों पहले किसान समागममें सीएम नीतीश कुमार ने एक किसान (Viral farmer Amit Singh of Patna Kisan Samagam) को अंग्रेजी में बोलने पर रोका था और उसे हिंदी में बोलने की नसीहत दी थी. इस वाकये के बाद नीतीश कुमार का हिंदी प्रेम सोशल मीडिया पर छाया रहा. इस घटना को कई मिली जुली प्रतिक्रियाएं भी मिली. अब लोग यह भी जानने को कोशिश कर रहे हैं कि आखिर वह कौन किसान हैं, जिसे सीएम ने हिंदी बोलने की नसीहत दी थी. ऐसे में यह भी जानना दिलचस्प होगा कि आखिर वह किसान बोल क्या रहा था और जब सीएम ने उसे रोका तो उसके मन में क्या भाव आए और आगे फिर क्या कुछ हुआ.

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लखीसराय के मशरूम उत्पादक किसान हैं अमितः लखीसराय के मशरूम उत्पादक किसान अमित कुमार को सीएम ने नसीहत दी थी. अमित कुमार को समागम में मंच पर अपनी उपलब्धि और कृषि रोड मैप के लिए सुझाव देने को बुलाया गया था. इसी दौरान उसने अपने संबोधन में अंग्रेजी के कुछ शब्दों का इस्तेमाल किया. इसी पर सीएम नीतीश कुमार ने उसे रोका और हिंदी में बोलने की नसीहत दी. अब सवाल यह भी उठता है कि आखिर अमित ने अंग्रेजी में ऐसा क्या बोला कि सीएम को उसे बीच में ही रोकना पड़ा.

' इंसेटिवाइज' शब्द बोलने पर सीएम ने रोका थाःअमित बताते हैं कि इंसेटिवाइज शब्द बोलने पर सीएम नीतीश कुमार ने मुझे रोका और कहा 'रुकिये- रुकिये. आप क्या कर रहे हैं. अंग्रेजी में क्यों बोल रहे हैं. यह इंग्लैंड है जी. यहां खेती किसानी करने वाले लोग जमा हुए हैं. हिंदी में बोलिए'. मैं अपने सुझाव में बता रहा था कि सरकारी योजनाओं के तहत जब किसान पूरी प्रक्रिया के तहत पूरा उत्पादन शुरू करते हैं तब उन्हें पूरा लाभ मिल पाता है. ऐसे में कई छोटे किसान आधे-अधूरे प्रक्रिया और लाभ न मिल पाने के कारण पीछे छूट जाते हैं. इसलिए किसानों को उत्पादन के अलग-अलग पड़ाव पर छोटे-छोटे सरकारी लाभ मिलनी चाहिए. इसी के लिए मैंने इंसेटिवाइज शब्द का इस्तेमाल किया था.

"इंसेटिवाइज शब्द बोलने पर सीएम नीतीश कुमार ने मुझे रोका. सीएम ने बीच में मुझे रोका तो मैं सहम गया कि कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं कह दिया. क्योंकि उस वक्त मैं कृषि रोडमैप के लिए सुझाव दे रहा था और सरकारी योजनाओं में और क्या बेहतर हो सकता है इस बारे में अपनी राय दे रहा था. एक बार तो मुझे लगा कि मैंने कहीं योजनाओं के बारे में कुछ गलत तो नहीं बोल दिया, लेकिन जब नीतीश कुमार ने मुझे अंग्रेजी के बदले हिंदी का इस्तेमाल करने को कहा, तब राहत मिली. वैसे सीएम ने जो नसीहत मुझे दी वह मेरे लिए सीख की तरह है" - अमित कुमार, मशरूम उत्पादक किसान, लखीसराय

'पहले तो मैं सहमा, फिर राहत का अहसास हुआ': अमित ने कहा कि जब सीएम ने बीच में मुझे रोका तो मैं सहम गया कि कहीं मैंने कुछ गलत तो नहीं कह दिया. क्योंकि उस वक्त मैं कृषि रोडमैप के लिए सुझाव दे रहा था और सरकारी योजनाओं में और क्या बेहतर हो सकता है इस बारे में अपनी राय दे रहा था. इसलिए एक बार तो मुझे लगा कि मैंने कहीं योजनाओं के बारे में कुछ गलत तो नहीं बोल दिया, लेकिन जब नीतीश कुमार ने मुझे अंग्रेजी के बदले हिंदी का इस्तेमाल करने को कहा, तब राहत मिली.

सीएम के नसीहत से मिली सीखःअमित ने कहा कि वैसे सीएम ने जो नसीहत मुझे दी वह मेरे लिए सीख की तरह है. क्योंकि अपनी बातों को अपनी भाषा में ही अच्छे तरीके से समझाया जा सकता है. वैसे भी मैं मशरूम उत्पादन से जुड़ा हूं और अब स्थिति यह कि एक प्रगतिशील किसान होने के नाते कृषि विभाग भी नए मशरूप उत्पादक किसानों को मेरे पास ट्रेनिंग के लिए भेजते हैं. ऐसे में इन किसानों से मैं पहले भी हिंदी में ही बात करता था. लेकिन अब सिर्फ और सिर्फ हिंदी और क्षेत्रीय भाषा में ही बात करूंगा.

'कृषि रोड मैप के लिए विशेषज्ञों को देना था सुझाव, इसलिए बोल रहा था अंग्रेजी में': अमित ने आगे बताया कि चूंकि मुझे कृषि रोडमैप में क्या होना चाहिए यह सुझाव देने के लिए बुलाया गया था. इसलिए मुझे लगा कि मैं अपनी बात तो कृषि विशेषज्ञों, बड़े अधिकारियों और वैज्ञानिकों के समक्ष रख रहा हूं. इसलिए मैं कृषि क्षेत्र की कुछ वैसे टर्म जो सिर्फ अंग्रेजी में ही अच्छे से समझे जा सकते हैं, उसका इस्तेमाल कर रहा था. मुझे जरा भी अहसास नहीं था कि अंग्रेजी के शब्द इस्तेमाल करने पर सीएम मुझे रोकेंगे.

एमबीए करके कई साल एमएनसी में काम कर चुके हैं अमितःअंग्रेजी और हिंदी के सवाल पर अमित ने कहा कि वैसे भी मैंने एमबीए करके काफी सालों तक एमएनसी में काम किया है तो अंग्रेजी और अंग्रेजी मिश्रित हिंदी बोलने की आदत सी हो गई है. इस कारण भी मैं उसे लहजे में अपनी बात बताना शुरू कर दी. अमित कोरोना काल में जब घर लौटे और वर्क फ्राॅम होम कर रहे थे, उन्हें घर पर रहकर कृषि क्षेत्र में कुछ नया करने का विचार आया. उसके बाद ही कृषि विभाग व कृषि विश्वविद्यालयों से वह कई सारी ट्रेनिंग लेने के बाद मशरूम उत्पादन से जुड़े. पत्नी भी उनका इस काम में मदद करती हैं. वह भी बीसीए करके पहले जाॅब करती थीं

अमित ने खुद के साथ आई समस्या और योजनाओं को बेहत करने के दिये सुझावः अमित ने बताया कि कृषि रोड मैप में सरकारी योजनाओं में और बेहतरी के लिए अपना सुझाव दे रहा था. साथ ही मेरे साथ जो समस्याएं आई, उसे भी साझा कर रहा था. सुझाव के रूप में मैं यही बता रहा था कि किसानों के लिए कई तरह के सरकारी योजनाएं हैं. इनका लाभ लेकर किसान काफी कुछ कर सकते हैं. मैंने भी कई सारी सरकारी योजनाओं का लाभ लिया, लेकिन अधिक किसानों को योजनाओं का और अधिक लाभ मिल सकाता है. अगर इसे कुछ और ज्यादा बेहतर किया जाए.

Last Updated : Feb 26, 2023, 5:04 PM IST

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