पटना:नगर विकास और आवास विभाग के सचिव आनंद किशोर की अध्यक्षता में जीआईएस मैपिंग से संबंधित आरएफपी की बैठक हुई. बैठक में विभाग की ओर से पूर्व में प्रकाशित दो आरएफपी के संबंध में आए विभिन्न सुझावों पर विचार-विमर्श किया गया. इस बैठक में विभिन्न एजेंसियों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया.
बैठक में सचिव ने कंसल्टेंट को वेब पोर्टल और मोबाइल एप विकसित करने के निर्देश दिए. जिससे वेंडर की ओर से किये जा रहे कार्यों की निगरानी की जा सके, ताकि आम जनता तक इसका लाभ पहुंच सके. इस कार्य के लिए हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग संस्थान से हाई रिजोल्यूशन वाली तस्वीरें विभाग को मिलेंगी. जिस आधार पर कंसल्टेंट यह काम करेगा.
85 शहरों में प्रॉपर्टी सर्वे के लिए एजेंसी चयन की चर्चा
बता दें कि जिन आरएफपी पर चर्चा की गई उनमें जीआईएस बेस मैप और बिहार के 85 शहरों में प्रॉपर्टी सर्वे के लिए एजेंसी चयन की चर्चा की गई. साथ ही जीआईएस मैपिंग और बिहार के शहरों के लिए डाटा इंटीग्रेशन के लिए प्रिंसिपल कंसलटेंट का चयन शामिल है. एजेंसी चयन के बाद विभाग की ओर से जीआईएस मैपिंग का प्रस्तावित कार्य करते हुए शहर का जीआईएस बेस मैप तैयार किया जाएगा. इसके अलावा प्रॉपर्टी सर्वे का भी कार्य किया जाएगा. बिहार के 85 शहरों की जीआईएस मैपिंग का काम 9 समूहों में वर्गीकृत किया गया है.
85 शहरों के GIS मैपिंग और प्रॉपर्टी सर्वे का काम इन चरणों में किया जाएगा
सभी शहरों का सैटेलाइट इमेजरी नगर विकास और आवास विभाग की ओर से नेशनल रिमोट सेंसिंग अथॉरिटी हैदराबाद से प्राप्त की जाएगी. इस इमेजरी का रिजॉल्यूशन 0.30 मी. होगा. नगरपालिका क्षेत्रों से बड़े इलाकों का इमेजरी प्राप्त किया जाएगा. जो जीआईएस मैपिंग के कार्य के लिए चयनित एजेंसी को उपलब्ध कराया जाएगा. प्राप्त सैटेलाइट इमेजरी का डीजीपीएस सर्वे किया जाएगा. इस क्रम में ग्राउंड कंट्रोल पॉइंट का निर्धारण किया जाएगा. प्रत्येक शहर के लिए कम से कम 6 जीसीपी का निर्धारण होगा. एक प्रत्येक वर्ग किलोमीटर क्षेत्र के लिए कम से कम एक जीसीपी हो, इसका ध्यान रखा जाएगा. डीजीपीएस सर्वे के आधार पर सैटेलाइट इमेजरी का डिजिटाइजेशन किया जाएगा. जिसके आधार पर फील्ड सर्वे का काम किया जाएगा. फील्ड सर्वे में प्राप्त आंकड़ों के आधार पर डिजिटाइजड मैप में सुधार किया जाएगा.
अलग-अलग लेयर में तैयार किया जाएगा बेसमैप
संशोधित डिजिटाइजड मैप और फील्ड सर्वे के डेटा का कंपाइलेशन किया जाएगा. इसके आधार पर अलग-अलग लेयर में बेसमैप तैयार किया जाएगा. यह बेसमैप 42-45 लेयर्स में तैयार होगा. इस प्रकार तैयार किए गए मैप्स और आंकड़ों को वेबसाइट पर लिंक किया जाएगा.बेस मैप के आधार पर प्रॉपर्टी सर्वे का काम होगा. प्रत्येक प्रॉपर्टी की दो से तीन तरफ की तस्वीर ली जाएगी जो जियो टैग की जाएगी. सभी प्रॉपर्टी का ब्यौरा विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए डेटाफार्म में अंकित किया जाएगा. पहले से तय मानक के आधार पर होल्डिंग या हाउस नंबर प्लेट हर प्रॉपर्टी पर लगाया जाएगा. साथ ही वर्तमान में विभाग में पूर्व से उपलब्ध मैप और आंकड़ों की वेब लिंकिंग का कार्य किया जा रहा है. इस प्रकार वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों का उपयोग अर्बन इंफ्रास्ट्रक्चर, अर्बन एडमिनिस्ट्रेशन और म्युनिसिपल बॉडीज में किया जाएगा.